चन्द पन्नों पे सिमट जाए वो किस्सा नहीं है हम, मुद्दतों बाद भी अधूरी है दास्तानें ज़िन्दगी अपनी…💯
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चन्द पन्नों पे सिमट जाए वो किस्सा नहीं है हम, मुद्दतों बाद भी अधूरी है दास्तानें ज़िन्दगी अपनी…💯

ना कोई गुनाह किया , ना कोई मुकदमा हुआ..!
ना अदालत सजाई गई, ना कोई दलिले हुई..!
किस किस से मांगे हम गवाही वफ़ा कि !
उसने छोड़ा भरे बाज़ार हमे, ये ज़माना जानता है!