मैं क्या कहूँ किसी से, मेरे अश्क कहते है मेरी दास्तान !
बाखुदा मेरी हर मंजिल का, इक तू ही तो है रास्ता!
मैं क्या कहूँ किसी से, मेरे अश्क कहते है मेरी दास्तान !
बाखुदा मेरी हर मंजिल का, इक तू ही तो है रास्ता!
Pyaar….
sunn ch’ te badha mitha lagda,
par asal vich mitha zehar aa
aksar us naal ho janda
jo kismat vich likhiyaa hi nahi hunda
ਪਿਆਰ…..
ਸੁਣਨ ‘ਚ ਤੇ ਬੜਾ ਮਿੱਠਾ ਲੱਗਦਾ,
ਪਰ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਮਿੱਠਾ ਜ਼ਹਿਰ ਆ!!
ਅਕਸਰ ਉਸ ਨਾਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾ,
ਜੋ ਕਿਸਮਤ ਵਿੱਚ ਲਿਖਿਆ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ।।
👧 *बाँझपन एक कलंक क्यों ???*👧
एक औरत माँ बने तो जीवन सार्थक
अगर माँ न बने तो जीवन ही निरथर्क,
किसने कहा है ये, कहाँ लिखा है ये,
कलंकित बोल-बोल जीवन बनाते नरक।
बाँझ बोलकर हर कोई चिढ़ाते,
शगुन-अपशगुन की बात समझाते।
बंजर ज़मीं का नाम दिया है मुझे,
पीछे क्या, सामने ही मेरा मज़ाक़ उड़ाते।
ममत्व का पाठ मैं भी जानती,
हर बच्चे को अपना मानती,
कोख़ से जन्म दूँ, ज़रूरी नहीं,
लहू का रंग मैं भी पहचानती।
आँचल में मेरे है प्यार भरा,
ममता की मूरत हूँ देख ज़रा,
क़द्र जानूँ मैं बच्चों की,
नज़र से मुझे ज़माने न गिरा।
कलंक नहीं हूँ इतना ज़रा बता दूँ,
समाज को एक नया पाठ सीखा दूँ,
बच्चा न जन्म दे सकी तो क्या,
समाज पे बराबर का हक़ मैं जता दूँ।
समाज पे बराबर का हक़ मैं जता दूँ।