मैं क्या कहूँ किसी से, मेरे अश्क कहते है मेरी दास्तान !
बाखुदा मेरी हर मंजिल का, इक तू ही तो है रास्ता!
मैं क्या कहूँ किसी से, मेरे अश्क कहते है मेरी दास्तान !
बाखुदा मेरी हर मंजिल का, इक तू ही तो है रास्ता!
hizar tere vich sajjna
assa apna aap mukaayea
samaa rutaa mausam beete
par tu mudh naa aayea
ਹਿਝਰ ਤੇਰੇ ਦੇ ਵਿਚ ਸੱਜਣਾਂ,,
ਅਸਾਂ ਅਪਣਾ ਆਪ ਮੁਕਾਇਆ ।
ਸਮਾਂ ਰੁੱਤਾਂ ਮੋਸਮ ਬੀਤੇ,,
ਪਰ ਤੂੰ ਮੁੜ ਨਾ ਆਇਆ ।
ज़िन्दगी के लिए इक ख़ास सलीक़ा रखना
अपनी उम्मीद को हर हाल में ज़िन्दा रखना
उसने हर बार अँधेरे में जलाया ख़ुद को
उसकी आदत थी सरे-राह उजाला रखना
आप क्या समझेंगे परवाज़ किसे कहते हैं।
आपका शौक़ है पिंजरे में परिंदा रखना
बंद कमरे में बदल जाओगे इक दिन लोगो
मेरी मानो तो खुला कोई दरीचा रखना
क्या पता राख़ में ज़िन्दा हो कोई चिंगारी
जल्दबाज़ी में कभी पॉव न अपना रखना
वक्त अच्छा हो तो बन जाते हैं साथी लेकिन
वक़्त मुश्किल हो तो बस ख़ुद पे भरोसा रखना