मैं क्या कहूँ किसी से, मेरे अश्क कहते है मेरी दास्तान !
बाखुदा मेरी हर मंजिल का, इक तू ही तो है रास्ता!
Well done is better than well said
मैं क्या कहूँ किसी से, मेरे अश्क कहते है मेरी दास्तान !
बाखुदा मेरी हर मंजिल का, इक तू ही तो है रास्ता!
जब पहुंचा कि जब पहुंचा मैं अपनी मौत के पास
कि जब पहुंचा कि जब पहुंचा मैं अपनी मौत के पास
खुदा बोला, कि उसकी की हुई दुआओं में कमब्ख्त बहुत दम है
इसलिए मौत तो दूर की बात, तेरी ज़िंदगी में दरद बहुत कम है
खून गरम है,
तो कोशिश करो की सही जगह आंच लगे...
ना फेकना इस कीचड़ में पत्थर,
कहीं ऐसा ना हो,
तुम्हारे दामन में ही दाग लगे...
रूह से कैसी दिल्लगी,
जिस्म तन्हा कर जाएगी इक दिन...
बस ईमान ऐसा रखना दोस्त मेरे,
के तेरी कब्र देखकर,
हर किसी के सीने में आग लगे...