मायूसी से भरी सुबह्य
बैचैनी मैं शाम होगी
मुस्कुराना छोड़ कर इक गुम सूम सी जान होगी
आगे बढ़ने के चक्कर मैं कितना सारा छोड़ आए हम
अब तन्हा अच्छा लगता है लगता है बड़े हो गए हम।💯
मायूसी से भरी सुबह्य
बैचैनी मैं शाम होगी
मुस्कुराना छोड़ कर इक गुम सूम सी जान होगी
आगे बढ़ने के चक्कर मैं कितना सारा छोड़ आए हम
अब तन्हा अच्छा लगता है लगता है बड़े हो गए हम।💯
Ajh dig gai o kandh, jo khadi c taredaan vich
hun maithon hor ni turiyaa janda
teriyaan ditiyaan peedan vich
ਅੱਜ ਡਿੱਗ ਗਈ ਓ ਕੰਧ ਜੋ ਖੜੀ ਸੀ ਤਰੇੜਾਂ ਵਿੱਚ
ਹੁਣ ਮੈਥੋਂ ਹੋਰ ਨਈ ਤੁਰਿਆ ਜਾਂਦਾ ਤੇਰੀਆਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਪੀੜਾਂ ਵਿੱਚ
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला
अब इसे लोग समझते हैं गिरफ्तार मेरा
सख्त नदीम है मुझे दाम में लाने वाला
क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे इस से
वो जो इक शख्स है मुंह फेर के जाने वाला
मुन्तज़िर किस का हूँ टूटी हुई दहलीज़ पे मैं
कौन आएगा यहाँ कौन है आने वाला
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला