ਨਵਾਂ ਦਿਨ || Nawa din || punjabi poetry was last modified: February 26th, 2023 by Manpreet Singh
rawaa aukhiyaa zindagi di
ithe saath den painda aa
jaroorat poori hon te ithe lok sab bhul jande ne
dard saade v hunda hai lokaa nu eh v dasna painda e
ਰਾਵਾਂ ਔਖੀਆਂ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੀ
ਇਥੇ ਸਾਥ ਦੇਣਾ ਪੈਂਦਾ ਐਂ
ਜ਼ਰੂਰਤ ਪੂਰੀ ਹੋਣ ਤੇ ਇਥੇ ਲੋਕ ਸੱਭ ਭੁੱਲ ਜਾਂਦੇ ਨੇ
ਦਰਦ ਸਾਡੇ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਏਹ ਵੀ ਦਸਣਾਂ ਪੈਦਾ ਐਂ
—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ
जाने कहाँ बैठकर देखती होगी, वो आज जहां भी रहती है..
नाराज़ है वो किसी बात को लेकर, सपनों में आकर कहती है..
मैं याद नहीं करता अब उसको, चुप-चाप देखकर सहती है..
वो चली गई भले दुनिया से, मेरे ज़हन में अब भी रहती है..
उसे चाहता हूँ पहले की तरह, ये तो वो आज भी कहती है..
किसी और संग मुझे देख-ले गर जो, वो आज भी लड़ती रहती है..
ना वो भूली ना मैं भुला, भले भूल गई दुनिया कहती है..
रहती थी पहले भी पास मेरे, मेरे साथ आज भी रहती है..