ਟਾਈਆ ਟਾਈਆ ਟਾਈਆ
ਕੋਠੇ ਤੇ ਕਿਤਾਬਾਂ ਪੜਾਈਆ
ਨਾਲੇ ਜੁਲਫਾ ਚੋ’ ਉਗਲਾ ਪਾਈਆ
2 ਕੰਮ ਨਹੀ ਚਲਣੇ ਕਰਲੇ
ਇਸ਼ਕ ਜਾ ਪੜਾਈਆ
ਟਾਈਆ ਟਾਈਆ ਟਾਈਆ
ਕੋਠੇ ਤੇ ਕਿਤਾਬਾਂ ਪੜਾਈਆ
ਨਾਲੇ ਜੁਲਫਾ ਚੋ’ ਉਗਲਾ ਪਾਈਆ
2 ਕੰਮ ਨਹੀ ਚਲਣੇ ਕਰਲੇ
ਇਸ਼ਕ ਜਾ ਪੜਾਈਆ
Jab tu bhejti hai taswir apni din acha sa ho jata hai
duniya jhuthi hai magar tu sachi lagti hai
Teri bahoon me aane ka man karta hai
Tu teri khusbo ko andar smane ka man karta hai
Khoo jau teri khusbu me yahi man karta hai
Or tarif kitni bhi karu teri kam hi lagti hai
Log kehte hai sabke 7 chehre hote hai duniya mein
Par mujhe toh ek bhi nhi mila tere jaise
Keh sakte hai ki duniya me tere alava koi na hai duja
ये तिरंगा ये तिरंगा ये हमारी शान है
विश्वभर में भारती की अमिट पहचान है
ये तिरंगा हाथ में ले पग निरंतर ही बढ़े
ये तिरंगा हाथ में ले दुश्मनों से हम लड़े
ये तिरंगा विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र है
ये तिरंगा वीरता का गूंजता इक मंत्र है
ये तिरंगा वन्दना है भारती का मान है
ये तिरंगा विश्व जन को सत्य का संदेश है
ये तिरंगा कह रहा है अमर भारत देश है
ये तिरंगा इस धरा पर शान्ति का संधान है
इसके रंगो में बुना बलिदानियों का नाम हैं
ये बनारस की सुबह है ये अवध की शाम है
ये कभी मन्दिर कभी ये गुरुओं का द्वार लगे
चर्च का गुम्बंद कभी मस्जिद की मीनार लगे
ये तिरंगा धर्म की हर राह का सम्मान है
ये तिरंगा बाइबिल है भागवत का श्लोक है
ये तिरंगा आयत ए कुरआन का आलोक है
ये तिरंगा वेद की पावन ऋचा का ज्ञान है
ये तिरंगा स्वर्ग से सुंदर धरा कश्मीर है
ये तिरंगा झूमता कन्याकुमारी नीर है
ये तिरंगा माँ के होठों की मधुर मुस्कान है
ये तिरंगा देव नदियों का त्रिवेणी रूप है
ये तिरंगा सूर्य की पहली किरण की धुप है
ये तिरंगा भव्य हिमगिरी का अमर वरदान है
शीत की ठंडी हवा ये ग्रीष्म का अंगार है
सावनी मौसम में मेघों का छलकता प्यार है
झंझावतों में लहराए गुणों की खान है
ये तिरंगा लता की इक कुठुकती आवाज है
ये रविशंकर के हाथों में थिरकता ताज है
टैगोर के जनगीत जन गण मन का ये गुणगान है
ये तिरंगा गांधी जी की शान्ति वाली खोज है
ये तिरंगा नेताजी के दिल से निकला ओज है
ये विवेकानंद जी का जगजयी अभियान है
रंग होली के है इसमें ईद जैसा प्यार है
चमक क्रिसमस की लिए यह दीप सा त्यौहार है
ये तिरंगा कह रहा ये संस्कृति महान है
ये तिरंगा अंडमानी काला पानी जेल है
ये तिरंगा शांति और क्रांति का अनुपम मेल है
वीर सावरकर का ये इक साधना संगान है