Pani dareya ch howe ja akhan ch
Gehrayi te raaz dowa ch hunde aa…!
ਪਾਣੀ ਦਰਿਆ ਚ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਅੱਖਾਂ ਚ👀
ਗਹਿਰਾਈ ਤੇ ਰਾਜ ਦੋਵਾਂ ਚ ਹੁੰਦੇ ਆ ….!
Pani dareya ch howe ja akhan ch
Gehrayi te raaz dowa ch hunde aa…!
ਪਾਣੀ ਦਰਿਆ ਚ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਅੱਖਾਂ ਚ👀
ਗਹਿਰਾਈ ਤੇ ਰਾਜ ਦੋਵਾਂ ਚ ਹੁੰਦੇ ਆ ….!
ना जाने क्यूं हर रात याद वो, रात मुझे अब आती है..
सोने की कोशिश में होता हूं, एकदम बरसात जो जाती है..
ठंडी हवाओं से ठक-ठक करके, खिड़कियाँ भी खुल सी जाती हैं..
बंद करने को उठता हूं, बाहर बूंदें नजर आ जाती हैं..
दरवाजा खोल कर बाहर गया ही था के, अचानक बिजली चली जाती है..
होगया अंदर बाहर अंधेरा, सनसनी सी दौड़ फिर जाती है..
सोचा मौसम का लुत्फ़ उठालू, सर्दी भी बढ सी जाती है..
हाथों को मोडे, हाथों को रगड़ू, रोवाँ भी उठ सी जाती है..
सोच तभी बरसात में मेरी, उसी रात पर चली फिर जाती है..
भीगा हुआ सा भाग रहा था, हर बूंद ये याद दिलाती है..
कपड़े भी कम पहने थे उस दिन, सर्दी एहसास दिलाती है..
सड़क अँधेरी जहाँ कोई नहीं था, सोच के सोच डर जाती है..
पहुचू कैसे अब घर म जल्दी, हड़बड़ी याद आ जाती है..
फिसला भागते हुए अचानक, चीजें बिखर हाथ से जाती हैं..
ढूंढ़ना शुरू किया मैंने उठके, जो इधर-उधर हो जाती है..
चीज़ कौनसी कहां गिरी गई, अँधेरे में नज़र नहीं आती है..
ढूंढ ही रहा था तभी सामने, खड़ी नजर वो आती है..
क्यों हो इस सुनसान सड़क पर, कहां जाना है? पुछ वो जाती है..
गलती से गलत राह को है चुन लिया, हुआ बुरा कहे, दुख जाताती है..
मैं फ़िसल गया, सामान गिर गया, उस से नज़र मेरी हट जाती है..
मैं मदद करु कहकर वो मेरी, मदद में यूं लग जाती है..
जैसी जानती है, पहचानती है, बातें इस कदर बनाती है..
मुझे दिखा भी नहीं, उससे मिल गया सब, सामान वो मुझे थमाती है..
जा पाओगे या राह दिखाउ, उसकी ये बात ही दिल ले जाती है।
पुछा मैंने यहां क्यूं हो जानकर, जब गली सुनसान हो जाती है..
रहती हूँ यहाँ, मेरा घर है यहाँ, पता भी अपना बताती है..
चलो तुम्हें आगे तक छोड़ दूँ, मेरे साथ चलने लग जाती है..
कुछ अपनी बता, कुछ पुछकर मुझसे, मेरा हाल जानना चाहती है..
मुझे राह पर लाकर वो मेरी, इशारे से रास्ता दिखती है..
यहां से चले जाना तुम सीधे, कहकर पीछे मुड़ जाती है..
उसे रोक नाम मैंने पूछा था, बेख़ौफ़ वो मुझे बताती है..
मेरी मदद क्यूं कि जब ये पूछा, मेरी तरफ घूम वो जाती है..
उसे देखने में भीगी पलकें, कई बार झपक मेरी जाती हैं..
तभी सड़क से गुजरी कार की रोशनी, मुझे चेहरा उसका दिखती है..
ना देखा पहले कभी कोई ऐसा, इतनी सुंदर मुझे भी भाती है..
अप्सरा उतरी जैसी स्वर्ग से कोई, वो छवि ना दिल से जाती है..
धड़कन जैसे उसे देख रुक गई, रूह उसे पाना चाहती है..
मेरी जुबां पे जैसा लग गया ताला, कुछ भी बोल नहीं पति है..
उसके तन पर गिरी हर एक बूंद, मोती की याद दिलाती है..
उसकी भीगी जुल्फें तो और भी, मनमोहक उसे बनाती हैं..
उसने कहा ये के ना चाह कर भी, उसे मदद करनी पड़ जाती है..
उसके दिल ने आवाज दी थी, तभी मदद को मेरी आती है..
कुछ और कहु हमसे पहले, मेरी बात काट वो जाती है..
मुझसे अब और तुम कुछ ना पूछना, मेरी राह कहीं और जाती है..
मुमकिन है नहीं ये सोच तुम्हारी, उसे कैसे पता चल जाती है..
मुझे छू कर मेरी आँखों से, ओझल वो कहीं हो जाती है..
मैं नाम पुकारता रह गया बस, ना सामने फिर वो आती है..
ना जाने सोच में कौन थी वो, घर तक की राह कट जाती है..
उस रात के बाद, हर रात मुझे, हर रात याद वो आती है..
किसी को बता नहीं पाया अबतक, मेरी जुबां जरा कतराती है..
Mann bethe c ohnu dil da hani
Ohda naam jo saahan ch rach gya c..!!
Ohne khud di vi Surat bhula ditti
Chehra ohda Jo nazra nu jach gya c..!!
Oh Tin char Akhar ne yaad menu
Jinna naal ishq c awazan nu..!!
Naam ohda te rabb da ik hoye
Injh lggan lggeya alfazan nu..!!
Jo naam ohde vich aunde c
Ohna akhra naal dil jarh gya c..!!
Kuj aunda hi nhi hor bolan vich
naam useda bullan te arh gya c..!!
Us khushi da thikana Na labhda c
Ohde sajde ch mathe vi teke c..!!
Ohde naa de sare akhar jad
Mere hath te bne mein dekhe c..!!
ਮੰਨ ਬੈਠੇ ਸੀ ਓਹਨੂੰ ਦਿਲ ਦਾ ਹਾਣੀ
ਓਹਦਾ ਨਾਮ ਜੋ ਸਾਹਾਂ ‘ਚ ਰੱਚ ਗਿਆ ਸੀ..!!
ਓਹਨੇ ਖੁਦ ਦੀ ਵੀ ਸੂਰਤ ਭੁਲਾ ਦਿੱਤੀ
ਚਿਹਰਾ ਓਹਦਾ ਜੋ ਨਜ਼ਰਾਂ ਨੂੰ ਜੱਚ ਗਿਆ ਸੀ..!!
ਉਹ ਤਿੰਨ ਚਾਰ ਅੱਖਰ ਨੇ ਯਾਦ ਮੈਨੂੰ
ਜਿੰਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਸੀ ਇਸ਼ਕ ਅਵਾਜ਼ਾਂ ਨੂੰ..!!
ਨਾਮ ਓਹਦਾ ਤੇ ਰੱਬ ਦਾ ਇੱਕ ਹੋਏ
ਇੰਝ ਲੱਗਣ ਲੱਗਿਆ ਅਲਫਾਜ਼ਾਂ ਨੂੰ..!!
ਜੋ ਨਾਮ ਓਹਦੇ ਵਿੱਚ ਆਉਂਦੇ ਸੀ
ਓਹਨਾਂ ਅੱਖਰਾਂ ਨਾਲ ਦਿਲ ਜੜ੍ਹ ਗਿਆ ਸੀ..!!
ਕੁਝ ਆਉਂਦਾ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੋਰ ਬੋਲਾਂ ਵਿੱਚ
ਨਾਮ ਉਸੇ ਦਾ ਬੁੱਲਾਂ ਤੇ ਅੜ ਗਿਆ ਸੀ..!!
ਉਸ ਖੁਸ਼ੀ ਦਾ ਠਿਕਾਣਾ ਨਾ ਲੱਭਦਾ ਸੀ
ਓਹਦੇ ਸਜਦੇ ‘ਚ ਮੱਥੇ ਵੀ ਟੇਕੇ ਸੀ..!!
ਓਹਦੇ ਨਾਮ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅੱਖਰ ਜਦ
ਮੇਰੇ ਹੱਥ ਤੇ ਬਣੇ ਮੈਂ ਦੇਖੇ ਸੀ..!!