HAMAIN KHUD KO SIRF TERE DAAYRE TAK HI TO MEHDOOD RAKHNA HAI
MOHABBAT SE ISHQUE KA YEH SAFAR OOROOJ SE ZAWAAL KI JAANIB TO AAYE GA NAHI
ہمیں خود کو صرف تیرے دائرے تک ہی تو محدود رکھنا ہے
محبّت سے عشق کا یہ سفر عروج سے زوال کی جانب تو آئے گا نہیں
HAMAIN KHUD KO SIRF TERE DAAYRE TAK HI TO MEHDOOD RAKHNA HAI
MOHABBAT SE ISHQUE KA YEH SAFAR OOROOJ SE ZAWAAL KI JAANIB TO AAYE GA NAHI
ہمیں خود کو صرف تیرے دائرے تک ہی تو محدود رکھنا ہے
محبّت سے عشق کا یہ سفر عروج سے زوال کی جانب تو آئے گا نہیں
इस जीवन से जुड़ा एक सवाल है हमारा~
क्या हमें फिर से कभी मिलेगा ये दोबारा?
समंदर में तैरती कश्ती को मिल जाता है किनारा~
क्या हम भी पा सकेंगे अपनी लक्ष्य का किनारा?
जिस तरह पत्तों का शाखा है जीवन भर का सहारा~
क्या उसी तरह मेरा भी होगा इस जहां में कोई प्यारा?
हम एक छोटी सी उदासी से पा लेते हैं डर का अंधियारा~
गरीब कैसे सैकड़ों गालियां खा कर भी कर लेतें है गुजारा ?
जिस तरह आसमान मे रह जाते सूरज और चांद-तारा ~
क्या उस तरह रह पाएगा हमारी दोस्ती का सहारा ?
जैसे हमेशा चलती रहती है नदियों का धारा~
क्या हम भी चल सकेंगे अपनी राह की धारा ?
Kaun kehtaa hai janaab jhoothi kasme khaane se marte hai
mere mehboob ne to har kasam meri jhoothi khayi hai
कौन कहता है जनाब झुठी कसमें खाने से मरते है
मेरे मेहबूब ने तो हर कसम मेरी झुठी खयी है।।