Kya karu mein un nasamjho ko apna haal-e-dil batakar
Jinko aksar mere jazbaat keval shabad lagte hain…..🙃😏
क्या करूँ मैं उन नासमझों को अपना हाल-ए-दिल बताकर जिनको अक्सर मेरे जज़्बात केवल शब्द लगते हैं….. 🙃😏
Kya karu mein un nasamjho ko apna haal-e-dil batakar
Jinko aksar mere jazbaat keval shabad lagte hain…..🙃😏
क्या करूँ मैं उन नासमझों को अपना हाल-ए-दिल बताकर जिनको अक्सर मेरे जज़्बात केवल शब्द लगते हैं….. 🙃😏
ईद के ख़ास मौक़े पर कोई ख़ुदाई से मिले,
दुश्मन – दुश्मन से मिले भाई – भाई से मिले
दुनियां वालों तुम्हें क्यों जलन होती है अग़र,
मुस्लिम सीख़ से मिले या सीख़ ईसाई से मिले
उस बंटवारे को अल्लाह भी क़बूल नहीं कर्ता,
जो हिस्सा इंसानों को ख़ून की लड़ाई से मिले
ग़ले ज़रूर मिलो मग़र ग़ला काटने के लिए नहीं,
क़ल को क्या पता किसका वक़्त जा बुराई से मिले
ये शायर तेरा आशिक़ है एक ही बात कहता है
हमसे जब भी जो भी मिले दिल की गहराई से मिले
कल एक झलक ज़िंदगी को देखा,
वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी,
फिर ढूँढा उसे इधर उधर
वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी,
एक अरसे के बाद आया मुझे क़रार,
वो सहला के मुझे सुला रही थी
हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से
मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,
मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया
कमबख्त तूने,
वो हँसी और बोली- मैं जिंदगी हूँ पगले
तुझे जीना सिखा रही थी।