
Ik geet likeya te fir mita dita
bas injh hi rahi ohdi aadat
mainu diwana bna le zindagi chon mita dita
Ik geet likeya te fir mita dita
bas injh hi rahi ohdi aadat
mainu diwana bna le zindagi chon mita dita
Gaur taan kar lai kamli te
Hoyi jaan deewani teri e..!!
Tere piche rul gyi zind masum
Tenu fikar Zara na meri e..!!
ਗੌਰ ਤਾਂ ਕਰ ਲੈ ਕਮਲੀ ‘ਤੇ
ਹੋਈ ਜਾਨ ਦੀਵਾਨੀ ਤੇਰੀ ਏ..!!
ਤੇਰੇ ਪਿੱਛੇ ਰੁਲ ਗਈ ਜ਼ਿੰਦ ਮਾਸੂਮ
ਤੈਨੂੰ ਫ਼ਿਕਰ ਜ਼ਰਾ ਨਾ ਮੇਰੀ ਏ..!!
“सोचता हूँ, के कमी रह गई शायद कुछ या
जितना था वो काफी ना था,
नहीं समझ पाया तो समझा दिया होता
या जितना समझ पाया वो काफी ना था,
शिकायत थी तुम्हारी के तुम जताते नहीं
प्यार है तो कभी जमाने को बताते क्यों नहीं,
अरे मुह्हबत की क्या मैं नुमाईश करता
मेरे आँखों में जितना तुम्हें नजर आया,
क्या वो काफी नहीं था I
सोचता हूँ के क्या कमी रह गई,
क्या जितना था वो काफी नहीं था
“सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I
उनके मुँह से निकले सारे अल्फाजों को याद कर लूँ कभी I
ऐसी क्या मज़बूरी होगी उनकी की हम याद नहीं आते I
सोचता हूँ तोहफा भेज कर अपनी याद दिला दूँ कभी I
सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I