मुर्शिद आज चराग़-ए-ग़म जलाऊँगा मैं
आज रात भर रात का दिल दुखाऊँगा मैं
आज किताब-ए-मुहब्बत के साथ साथ
तेरी निशानियों को भी आग लगाऊँगा मैं
ऐ सितमगर एहतियात-ए-हिजाब करना
अब फ़क़त तुझपे ही क़लम उठाऊँगा मैं
मुर्शिद आज चराग़-ए-ग़म जलाऊँगा मैं
आज रात भर रात का दिल दुखाऊँगा मैं
आज किताब-ए-मुहब्बत के साथ साथ
तेरी निशानियों को भी आग लगाऊँगा मैं
ऐ सितमगर एहतियात-ए-हिजाब करना
अब फ़क़त तुझपे ही क़लम उठाऊँगा मैं
Jad dil kare much morhde ne mere to
Dil vich rakhiyan sab fikran nu kadd ke..!!
Chale jande ne oh aksar laparwah ho ke
Menu raat de hanereyan ch ikalleya Chadd ke..!!
ਜਦ ਦਿਲ ਕਰੇ ਮੁੱਖ ਮੋੜਦੇ ਨੇ ਮੇਰੇ ਤੋਂ
ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਰੱਖੀਆਂ ਸਭ ਫ਼ਿਕਰਾਂ ਨੂੰ ਕੱਢ ਕੇ..!!
ਚਲੇ ਜਾਂਦੇ ਨੇ ਉਹ ਅਕਸਰ ਲਾਪਰਵਾਹ ਹੋ ਕੇ
ਮੈਨੂੰ ਰਾਤ ਦੇ ਹਨੇਰਿਆਂ ‘ਚ ਇਕੱਲਿਆਂ ਛੱਡ ਕੇ..!!
ना जाने क्यो सोचते है…हर वख्त तेरे बारे में!
लगता है सोहबत में तेरी मुझे ईश्क होने लगा है!
देखते हो जब मुझे शरमा कर आंखे झुक जाती है,
हर अदा पर तेरा पहरा सा महसूस होने लगा है
देखूं जब भी आइना अक्स तेरा मुझमे दिखने लगा है
खोई रहती हूं , वख्त बेवख्त तेरे ख्यालो में
ओर दिल भी ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा है
लगता है तू सोच में मेरी हावी होने लगा है