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Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Ishq valeya da haal || love shayari || Punjabi status

Tadap vi hundi te akhan nam vi hundiya ne
Ishq valeya da haal ta bas edda hi hoyia e..!!
Kon milda e ethe eh ta mukaddar di gall e
Nahi ta Mohobbat de larh lagg ta har koi royia e..!!

ਤੜਪ ਵੀ ਹੁੰਦੀ ਤੇ ਅੱਖਾਂ ਨਮ ਵੀ ਹੁੰਦੀਆਂ ਨੇ
ਇਸ਼ਕ ਵਾਲਿਆਂ ਦਾ ਹਾਲ ਤਾਂ ਬਸ ਏਦਾਂ ਹੀ ਹੋਇਆ ਏ..!!
ਕੌਣ ਮਿਲਦਾ ਏ ਇੱਥੇ ਇਹ ਤਾਂ ਮੁਕੱਦਰ ਦੀ ਗੱਲ ਏ
ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਮੋਹੁੱਬਤ ਦੇ ਲੜ ਲੱਗ ਹਰ ਕੋਈ ਰੋਇਆ ਏ..!!

Title: Ishq valeya da haal || love shayari || Punjabi status


कवि और धनवान आदमी : अकबर-बीरबल की कहानी

एक दिन एक कवि किसी धनी आदमी से मिलने गया और उसे कई सुंदर कविताएं इस उम्मीद के साथ सुनाईं कि शायद वह धनवान खुश होकर कुछ ईनाम जरूर देगा। लेकिन वह धनवान भी महाकंजूस था, बोला, “तुम्हारी कविताएं सुनकर दिल खुश हो गया। तुम कल फिर आना, मैं तुम्हें खुश कर दूंगा।”

‘कल शायद अच्छा ईनाम मिलेगा।’ ऐसी कल्पना करता हुआ वह कवि घर पहुंचा और सो गया। अगले दिन वह फिर उस धनवान की हवेली में जा पहुंचा। धनवान बोला, “सुनो कवि महाशय, जैसे तुमने मुझे अपनी कविताएं सुनाकर खुश किया था, उसी तरह मैं भी तुमको बुलाकर खुश हूं। तुमने मुझे कल कुछ भी नहीं दिया, इसलिए मैं भी कुछ नहीं दे रहा, हिसाब बराबर हो गया।”

कवि बेहद निराश हो गया। उसने अपनी आप बीती एक मित्र को कह सुनाई और उस मित्र ने बीरबल को बता दिया। सुनकर बीरबल बोला, “अब जैसा मैं कहता हूं, वैसा करो। तुम उस धनवान से मित्रता करके उसे खाने पर अपने घर बुलाओ। हां, अपने कवि मित्र को भी बुलाना मत भूलना। मैं तो खैर वहां मैंजूद रहूंगा ही।”

कुछ दिनों बाद बीरबल की योजनानुसार कवि के मित्र के घर दोपहर को भोज का कार्यक्रम तय हो गया। नियत समय पर वह धनवान भी आ पहुंचा। उस समय बीरबल, कवि और कुछ अन्य मित्र बातचीत में मशगूल थे। समय गुजरता जा रहा था लेकिन खाने-पीने का कहीं कोई नामोनिशान न था। वे लोग पहले की तरह बातचीत में व्यस्त थे। धनवान की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, जब उससे रहा न गया तो बोल ही पड़ा, “भोजन का समय तो कब का हो चुका ? क्या हम यहां खाने पर नहीं आए हैं ?”

“खाना, कैसा खाना ?” बीरबल ने पूछा।

धनवान को अब गुस्सा आ गया, “क्या मतलब है तुम्हारा ? क्या तुमने मुझे यहां खाने पर नहीं बुलाया है ?”

खाने का कोई निमंत्रण नहीं था। यह तो आपको खुश करने के लिए खाने पर आने को कहा गया था।” जवाब बीरबल ने दिया। धनवान का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया, क्रोधित स्वर में बोला, “यह सब क्या है? इस तरह किसी इज्जतदार आदमी को बेइज्जत करना ठीक है क्या ? तुमने मुझसे धोखा किया है।”

अब बीरबल हंसता हुआ बोला, “यदि मैं कहूं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं तो…। तुमने इस कवि से यही कहकर धोखा किया था ना कि कल आना, सो मैंने भी कुछ ऐसा ही किया। तुम जैसे लोगों के साथ ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए।”

धनवान को अब अपनी गलती का आभास हुआ और उसने कवि को अच्छा ईनाम देकर वहां से विदा ली।

वहां मौजूद सभी बीरबल को प्रशंसा भरी नजरों से देखने लगे।

Title: कवि और धनवान आदमी : अकबर-बीरबल की कहानी