Zindagi me ek waqt aisa bhi aata hai jab sab kuch thik hone ke baad bhi INSAAN muskurana bhool jata hai
ज़िंदगी में एक वक़्त ऐसा भी आता है जब सब कुछ ठीक होने के बाद भी इंसान मुस्कुराना भूल जाता है
Zindagi me ek waqt aisa bhi aata hai jab sab kuch thik hone ke baad bhi INSAAN muskurana bhool jata hai
ज़िंदगी में एक वक़्त ऐसा भी आता है जब सब कुछ ठीक होने के बाद भी इंसान मुस्कुराना भूल जाता है
लिखता मैं किसान के लिए
मैं लिखता इंसान के लिए
नहीं लिखता धनवान के लिए
नहीं लिखता मैं भगवान के लिए
लिखता खेत खलियान के लिए
लिखता मैं किसान के लिए
नहीं लिखता उद्योगों के लिए
नहीं लिखता ऊँचे मकान के लिए
लिखता हूँ सड़कों के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
क़लम मेरी बदलाव बड़े नहीं लाई
नहीं उम्मीद इसकी मुझे
खेत खलियान में बीज ये बो दे
सड़क का एक गढ्ढा भर देती
ये काफ़ी इंसान के लिए
लिखता हूँ किसान के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
आशा नहीं मुझे जगत पढ़े
पर जगत का एक पथिक पढ़े
फिर लाए क्रांति इस समाज के लिए
इसलिए लिखता मैं दबे-कुचलों के लिए
पिछड़े भारत से ज़्यादा
भूखे भारत से डरता हूँ
फिर हरित क्रांति पर लिखता हूँ
फिर किसान पर लिखता हूँ
क्योंकि
लिखता मैं किसान के लिए
लिखता मै इंसान के लिए
सफर जारी है मंज़िल को पाने की।
जंग से लड़ना ही रीत है जहां की।।
बैठे रहने से कुछ भी नसीब नहीं ।
नसीब के भरोसे अकर्मण्यों ने ज़िन्दगी जियी।।
कर पूजन कर्म का तू।
मन में रख कर हौंसला । ।
हौंसला यदि हो बुलन्द।
तय होगा हर फासला।।
ज़िन्दगी समय से है , समय ही ज़िन्दगी ।
यूं न जाने दो समय को , नहीं मिलेगी कोई ख़ुशी।।
कर हर काम समय पर , ज़िन्दगी तुम्हे आसमान पर ला देगी ।
सफलता की सीढिया कदमों पर झुका देगी।।
लड़ो ज़िन्दगी की हर एक जंग से ।
न हारो वक़्त रूपी तुरंग से।।
पल पल अनमोल है ज़िन्दगी की ।
केवल परिश्रम हो तो मिलेगी हर ख़ुशी।।
मंज़िल को पाना आसान नहीं ।
पर मंज़िल को ही छोड़ देना हल नहीं । ।
पार कर राहों के कांटो को ।
बढ़ते रहो मंज़िल की ओर।।