Sahara na raha koi mera
Yuhi darbadar bhatakta hu
Jinki aankho ka noor tha mai kbhi
Ab unhi nazro me roz khatakta hu… 🍂
सहारा ना रहा कोई मेरा
यूँही दरबदर भटकता हूँ
जिनकी आँखों का नूर था मैं कभी
अब उन्हीं नज़रों मे रोज़ खटकता हूँ।। 🍂
Sahara na raha koi mera
Yuhi darbadar bhatakta hu
Jinki aankho ka noor tha mai kbhi
Ab unhi nazro me roz khatakta hu… 🍂
सहारा ना रहा कोई मेरा
यूँही दरबदर भटकता हूँ
जिनकी आँखों का नूर था मैं कभी
अब उन्हीं नज़रों मे रोज़ खटकता हूँ।। 🍂
खूबसूरत तो हर लम्हा है,
शायद देखने की नज़ाकत नहीं है...
अकेले चलने की हिम्मत तो है,
शायद साथ छोड़ने की आदत नहीं है...
शर्त है मै सिर्फ मयखाने तक जाऊंगा
आगे का रास्ता तुम तय कर लेना...
ताल्लुक़ मेरा पुराना है इन गलियों से,
शायद छूटा पैमाना पकड़ने की आदत नहीं है...
Ab koi shikwa shikayat nahi
Ab mujhme hi mai hu
Tum me nahi…🙌
अब कोई शिकवा शिकायत नहीं
अब मुझमें ही मैं हूँ
तुम में नहीं…🙌