Ache hokar bhi logo ke liye bure hain socho bure hogye to kya hi hoga
अच्छे होकर भी लोगों के लिए बुरे हैं सोचो बुरे होगए तो क्या ही होगा
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अच्छे होकर भी लोगों के लिए बुरे हैं सोचो बुरे होगए तो क्या ही होगा
एक दिन एक कवि किसी धनी आदमी से मिलने गया और उसे कई सुंदर कविताएं इस उम्मीद के साथ सुनाईं कि शायद वह धनवान खुश होकर कुछ ईनाम जरूर देगा। लेकिन वह धनवान भी महाकंजूस था, बोला, “तुम्हारी कविताएं सुनकर दिल खुश हो गया। तुम कल फिर आना, मैं तुम्हें खुश कर दूंगा।”
‘कल शायद अच्छा ईनाम मिलेगा।’ ऐसी कल्पना करता हुआ वह कवि घर पहुंचा और सो गया। अगले दिन वह फिर उस धनवान की हवेली में जा पहुंचा। धनवान बोला, “सुनो कवि महाशय, जैसे तुमने मुझे अपनी कविताएं सुनाकर खुश किया था, उसी तरह मैं भी तुमको बुलाकर खुश हूं। तुमने मुझे कल कुछ भी नहीं दिया, इसलिए मैं भी कुछ नहीं दे रहा, हिसाब बराबर हो गया।”
कवि बेहद निराश हो गया। उसने अपनी आप बीती एक मित्र को कह सुनाई और उस मित्र ने बीरबल को बता दिया। सुनकर बीरबल बोला, “अब जैसा मैं कहता हूं, वैसा करो। तुम उस धनवान से मित्रता करके उसे खाने पर अपने घर बुलाओ। हां, अपने कवि मित्र को भी बुलाना मत भूलना। मैं तो खैर वहां मैंजूद रहूंगा ही।”
कुछ दिनों बाद बीरबल की योजनानुसार कवि के मित्र के घर दोपहर को भोज का कार्यक्रम तय हो गया। नियत समय पर वह धनवान भी आ पहुंचा। उस समय बीरबल, कवि और कुछ अन्य मित्र बातचीत में मशगूल थे। समय गुजरता जा रहा था लेकिन खाने-पीने का कहीं कोई नामोनिशान न था। वे लोग पहले की तरह बातचीत में व्यस्त थे। धनवान की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, जब उससे रहा न गया तो बोल ही पड़ा, “भोजन का समय तो कब का हो चुका ? क्या हम यहां खाने पर नहीं आए हैं ?”
“खाना, कैसा खाना ?” बीरबल ने पूछा।
धनवान को अब गुस्सा आ गया, “क्या मतलब है तुम्हारा ? क्या तुमने मुझे यहां खाने पर नहीं बुलाया है ?”
खाने का कोई निमंत्रण नहीं था। यह तो आपको खुश करने के लिए खाने पर आने को कहा गया था।” जवाब बीरबल ने दिया। धनवान का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया, क्रोधित स्वर में बोला, “यह सब क्या है? इस तरह किसी इज्जतदार आदमी को बेइज्जत करना ठीक है क्या ? तुमने मुझसे धोखा किया है।”
अब बीरबल हंसता हुआ बोला, “यदि मैं कहूं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं तो…। तुमने इस कवि से यही कहकर धोखा किया था ना कि कल आना, सो मैंने भी कुछ ऐसा ही किया। तुम जैसे लोगों के साथ ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए।”
धनवान को अब अपनी गलती का आभास हुआ और उसने कवि को अच्छा ईनाम देकर वहां से विदा ली।
वहां मौजूद सभी बीरबल को प्रशंसा भरी नजरों से देखने लगे।
Duniyaa tainu kabool karu
tu eh vehm kadh de
aapne aap nu horaa jeha
mna bnauna chhad de
loki banna chahn tere jeha
aisa koi nishaan gad de
jo yaari de naa te dhaba
channi ohda faha vadh de
ਦੁਨੀਆ ਤੈਨੂੰ ਕਬੂਲ ਕਰੂੰ,
ਤੂੰ ਇਹ ਬੈਹਮ ਕੱਡ ਦੇ।
ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਹੋਰਾਂ ਜਿਹਾ,
ਮਨਾ ਬਣਾਉਣਾ ਛੱਡ ਦੇ।
ਲੋਕੀਂ ਬਣਨਾ ਚਾਹਣ ਤੇਰੇ ਜਿਹਾ,
ਐਸਾ ਕੋਈ ਨਿਸ਼ਾਨ ਗੱਡ ਦੇ।
ਜੋ ਯਾਰੀ ਦੇ ਨਾਂ ਤੇ ਧੱਬਾ,
ਚੰਨੀ ਉਹਦਾ ਫਾਹਾ ਵੱਡ ਦੇ।
ਚੰਨੀ ਡੀ।।