“Tujhe dekhne se in ankhon ko sukoon milta hai , ki tujhe dekhne se in ankhon ko sukoon milta hai.
Tu koi apna ya koi farishta sa lagta hai,jiske hone se ye dil dhadakne sa lagta hai”.
“Tujhe dekhne se in ankhon ko sukoon milta hai , ki tujhe dekhne se in ankhon ko sukoon milta hai.
Tu koi apna ya koi farishta sa lagta hai,jiske hone se ye dil dhadakne sa lagta hai”.
Vo haseen hai, vo saadgi pasand hai,
Payal nhi, use kaala dhaga pasand hai,
Pasand hai use, mujhe har baar jeetna,
Mujhe na khona bhi uski pasand hai,
Mujhe roothna pasand hai, use manana pasand hai….❤️
वो हसीन है, वो सादगी पसंद है,
पायल नहीं, उसे काला धागा पसंद है,
पसंद है उसे, मुझे हर बार जीतना,
मुझे ना खोना भी उसकी पसंद है,
मुझे रूठना पसंद है, उसे मनाना पसंद है….❤️
अकबर बादशाह को मजाक करने की आदत थी। एक दिन उन्होंने नगर के सेठों से कहा-
“आज से तुम लोगों को पहरेदारी करनी पड़ेगी।”
सुनकर सेठ घबरा गए और बीरबल के पास पहुँचकर अपनी फरियाद रखी।
बीरबल ने उन्हें हिम्मत बँधायी,
“तुम सब अपनी पगड़ियों को पैर में और पायजामों को सिर पर लपेटकर रात्रि के समय में नगर में चिल्ला-चिल्लाकर कहते फिरो, अब तो आन पड़ी है।”
उधर बादशाह भी भेष बदलकर नगर में गश्त लगाने निकले। सेठों का यह निराला स्वांग देखकर बादशाह पहले तो हँसे, फिर बोले-“यह सब क्या है ?”
सेठों के मुखिया ने कहा-
“जहाँपनाह, हम सेठ जन्म से गुड़ और तेल बेचने का काम सीखकर आए हैं, भला पहरेदीर क्या कर पाएँगे, अगर इतना ही जानते होते तो लोग हमें बनिया कहकर क्यों पुकारते?”
बादशाह अकबर बीरबल की चाल समझ गए और अपना हुक्म वापस ले लिया।