
Kade khwaab tu sade Na bunda e..!!
Na apne dil di kehnda e
Na sade dil di sunda e..!!
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला
अब इसे लोग समझते हैं गिरफ्तार मेरा
सख्त नदीम है मुझे दाम में लाने वाला
क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे इस से
वो जो इक शख्स है मुंह फेर के जाने वाला
मुन्तज़िर किस का हूँ टूटी हुई दहलीज़ पे मैं
कौन आएगा यहाँ कौन है आने वाला
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला
जो तुम आ जाते एक बार कितनी करूणा कितने संदेश पथ में बिछ जाते बन पराग गाता प्राणों का तार तार अनुराग भरा उन्माद राग आँसू लेते वे पथ पखार जो तुम आ जाते एक बार हँस उठते पल में आर्द्र नयन धुल जाता होठों से विषाद छा जाता जीवन में बसंत लुट जाता चिर संचित विराग आँखें देतीं सर्वस्व वार जो तुम आ जाते एक बार