
Tu vekhi
ehnaa hawanwa vich me sma jawanga
kagaz te digde shahi de tupkeyaan wang
tere supneyaan di simawaan tak fel jawanga
Tu vekhi
ehnaa hawanwa vich me sma jawanga
kagaz te digde shahi de tupkeyaan wang
tere supneyaan di simawaan tak fel jawanga
“सोचता हूँ, के कमी रह गई शायद कुछ या
जितना था वो काफी ना था,
नहीं समझ पाया तो समझा दिया होता
या जितना समझ पाया वो काफी ना था,
शिकायत थी तुम्हारी के तुम जताते नहीं
प्यार है तो कभी जमाने को बताते क्यों नहीं,
अरे मुह्हबत की क्या मैं नुमाईश करता
मेरे आँखों में जितना तुम्हें नजर आया,
क्या वो काफी नहीं था I
सोचता हूँ के क्या कमी रह गई,
क्या जितना था वो काफी नहीं था
“सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I
उनके मुँह से निकले सारे अल्फाजों को याद कर लूँ कभी I
ऐसी क्या मज़बूरी होगी उनकी की हम याद नहीं आते I
सोचता हूँ तोहफा भेज कर अपनी याद दिला दूँ कभी I
सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I
Badha pyar c us jhlli naal..
par kareeb ho k v oh kareeb na hoi
ajh halat us tutte taare wargi
jisnu tutt k v dharti naseeb na hoi
ਬੜਾ ਪਿਆਰ ਸੀ ਉਸ ਝੱਲੀ ਨਾਲ…
ਪਰ ਕਰੀਬ ਹੋ ਕੇ ਵੀ ਉਹ ਕਰੀਬ ਨਾ ਹੋੲੀ…
ਅੱਜ ਹਾਲਤ ਉਸ ਟੁੱਟੇ ਤਾਰੇ ਵਰਗੀ…
ਜਿਸਨੂੰ ਟੁੱਟ ਕੇ ਵੀ ਧਰਤੀ ਨਸੀਬ ਨਾ ਹੋਈ…