
दिवाली पर पापा को बोनस मिलता था तनख्वाह थोड़ी ज्यादा आती थी सबको मालूम था दिवाली पर भी नए कपड़े लेने के लिए पैसे गिनकर मिलते थे कोई अगर बीमार हो जाए तो वो नए कपड़े भी कैंसल हो जाते थे। बचपन से ही एडजस्ट करने की आदत लग जाती है ये आदत अच्छी हो होती है पर कभी कभी बुरी भी होती है। धीरे धीरे बड़े हुए तो पता था मम्मी पापा को कुछ बनकर दिखाना है ये ख्वाब साथ लेकर चला पर बाहर निकले घर से तो ये पता चला कि जो मेरा ख्वाब है वही सबका भी ख्वाब था सबको अपनी जिंदगी में मेरी तरह ही कुछ करना था। जैसे तैसे एक नौकरी लगी वो भी मेरी पसंद की नही थी पर पापा का हाथ बंटाने के लिए भी तो कुछ करना था अपने दिल को समझकर वो नौकरी कर ली मुझे नौकरी लगी ये सुनकर मम्मी पापा दोनो खुश हो जाए पापा की आखों से तो आंसू ही आ गए आंखो से निकलते आंसू भी उस दिन मुझसे बात कर रहे थे मानो वो ये कह रहे थे की अब मेरे कंधो का थोड़ा बोझ कम हुआ मेरे साथ कोई कमाने वाला आ गया। उस दिन से मैंने वो नौकरी ज्वाइन कर ली और उसकी भी आदत सी पड़ गई।
Labde labde wafawan
Dhokhe khaye aa chare paase ton💔
Loka ton sikheya ishq piche dagebajiyan
Te ashiqua ton sikheya e rona piche haase ton🙌
ਲੱਭਦੇ ਲੱਭਦੇ ਵਫਾਵਾਂ
ਧੋਖੇ ਖਾਏ ਆ ਚਾਰੇ ਪਾਸੇ ਤੋਂ💔
ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਸਿਖਿਆ ਇਸ਼ਕ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਦਗੇਬਾਜੀਆਂ
ਤੇ ਆਸ਼ਿਕਾਂ ਤੋਂ ਸਿਖਿਆ ਐਂ ਰੋਣਾ ਪਿੱਛੇ ਹਾਸੇ ਤੋਂ🙌