मुर्शिद आज चराग़-ए-ग़म जलाऊँगा मैं
आज रात भर रात का दिल दुखाऊँगा मैं
आज किताब-ए-मुहब्बत के साथ साथ
तेरी निशानियों को भी आग लगाऊँगा मैं
ऐ सितमगर एहतियात-ए-हिजाब करना
अब फ़क़त तुझपे ही क़लम उठाऊँगा मैं
Enjoy Every Movement of life!
मुर्शिद आज चराग़-ए-ग़म जलाऊँगा मैं
आज रात भर रात का दिल दुखाऊँगा मैं
आज किताब-ए-मुहब्बत के साथ साथ
तेरी निशानियों को भी आग लगाऊँगा मैं
ऐ सितमगर एहतियात-ए-हिजाब करना
अब फ़क़त तुझपे ही क़लम उठाऊँगा मैं

Arsaa ho gyaa ohnu vehkyaa nu
rabb agghe nalishh kar kar thakiyaan
jag de bherre rang vekhe ne
bherre rang vekh vekh raun akhiyaan
Jinha de approach te udd di hai,
nakeya te oh mainu hi yaad karde ne.