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Bachpan Beet Gaya – Hindi Kavita on Life || zindagi Bachpan poetry

बचपन ब़ीत गया लडकपन मे,
ज़वानी बीत रहीं घर बनानें मे,
ज़ंगल सी हो गयी हैं जिन्दगी,
हर कोईं दौड रहा आन्धी के गुबार मे।
 
हर रोज़ नईं भोर होती,
पर नही ब़दलता जिन्दगी का ताना ब़ाना,
सब कर रहें है अपनीं मनमानी,
लेक़िन जी नही रहें अपनी जिन्दगानी।
 
कोईं पास बुलाये तो डर लग़ता हैं,
कैंसी हो गईं हैं यह दुनियां बेईंमानी,
सफ़र चल रहा हैं जिन्दा हू कि पता नही,
रोज लड रहा हू चन्द सासे ज़ीने के लिये।               

मिल नही रहा हैं कोई ठिकाना,
जहा दो पल सर टिक़ाऊ,
ऐसें सो जाऊ की सपनो में ख़ो जाऊ,
बचपन की गलियो में खो जाऊ।
 
वो बेंर मीठें तोड लाऊ,
सूख़ गया जो तालाब उसमे फ़िर से तैंर आऊ,
मां की लोरीं फिर से सुन आऊ,
भूल जाऊ जिन्दगी का यें ताना बाना।
 
देर सवेंर फ़िर से भोर हो गईं,
रातो की नीद फ़िर से उड गईं,
देख़ा था जो सपना वो छम सें चूर हो ग़या,
जिन्दगी का सफ़र फिर से शुरू हों गया।               

आंखो का पानी सूख़ गया,
चेहरें का नूर कही उड सा गया,
अब जिन्दगी से एक़ ही तमन्ना,
सो जाऊ फ़िर से उन सपनो की दुनियां मे।

Title: Bachpan Beet Gaya – Hindi Kavita on Life || zindagi Bachpan poetry

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Hindi shayari Love || mai usako chaand kah doo

mai usako chaand kah doo ye mumakin to hai,
magar… log use raat bhar dekhen ye mujhe gavaara nahin…

मै उसको चाँद कह दू ये मुमकिन तो है,
मगर… लोग उसे रात भर देखें ये मुझे गवारा नहीं…

Title: Hindi shayari Love || mai usako chaand kah doo


JO lafaj byaan na kar paaye || hindi love shayari

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