Sahara na raha koi mera
Yuhi darbadar bhatakta hu
Jinki aankho ka noor tha mai kbhi
Ab unhi nazro me roz khatakta hu… 🍂
सहारा ना रहा कोई मेरा
यूँही दरबदर भटकता हूँ
जिनकी आँखों का नूर था मैं कभी
अब उन्हीं नज़रों मे रोज़ खटकता हूँ।। 🍂
Sahara na raha koi mera
Yuhi darbadar bhatakta hu
Jinki aankho ka noor tha mai kbhi
Ab unhi nazro me roz khatakta hu… 🍂
सहारा ना रहा कोई मेरा
यूँही दरबदर भटकता हूँ
जिनकी आँखों का नूर था मैं कभी
अब उन्हीं नज़रों मे रोज़ खटकता हूँ।। 🍂
माता पिता का इस जगत में है सबसे ऊँचा दर्जा।
इसके लालन पालन को संतान चूका ना सके कर्जा।।
कर्ज इनके प्रेम का जीवन को खूब सँवारे।
बस चले तो बच्चों के लिए आसमां से तोड़ ले तारे।
तारों सा चमकीला बने उनके बच्चों का जीवन।
मानों इसलिए ही धरती पर माता पिता का हुआ जनम।।
बच्चों के जन्म से ही करते उनके लिए जीवन भर संघर्ष।
अपने बच्चों की खुशियों को ही समझे जीवन का उत्कर्ष।।
उत्कर्ष होता उनका जो संतान बने अच्छी इंसान।
पग पग मार्गदर्शन ऐसा जो देना सके भगवान।
भगवान समान माता पिता फिर भी क्यों खोते मान।
बुढ़ापे में अपने ही पुत्रों से झेलते अपमान।।
अपमान करे संतान का तो फट पड़ता कलेजा।
क्या इस दिन के लिए ही संतान को प्रेम से सहेजा।।
सहेजा संवारा क्या इसलिए कि बुढ़ापे में ना दे साथ।
संतान पे लुटाके धन आज बुढ़ापे में फैलाये हाथ।।
हाथ क्यों ना आते आगे आज माता पिता के लिए।
क्या झूठे दिखावे और चमक दमक ने तुम्हारे हाथ सीले।।
छोड़ो इस माया को सच्चे रिश्तों की करो कदर।
दुनिया में तुम्हारे लिए जीये सदा तुम्हारे फादर मदर।।
insan aur janwar mai sirf itna hi fark hai ki insan dusro ke liye jita hai aur janwar khud ke liye jita hai aur khud ke liye apno ke liye mar deta hai
Duniya mai insan ban kar jina chaha lekin apno ne hi janwar bana diya