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Bulleh shah poetry || aakhan vich dil jaani peyaareyaa

Aakhan vich dil jaani pyaareya
kehi chettak layeaa e
me tere vich jara na judai
saathon aap chhpayea e
majhi aayeaa raanjha yaar na aaeyea
fook birho doleyaa e
aakhan vich dil jaani peyaareyaa
me nedhe mainu door kyu disna ae
sathon aap chhupayea e
han vich dil jaani peyaareyaa
vich misar de vaang julekha
ghungat khol rulaayea e
aakhan vich dil jaani peyaareyaa
Shooh bulleh de sir par burka
tere ishq nachaayea e
aakhan vich dil jaani peyaareyaa
kehi chettak layeaa e

ਅੱਖਾਂ ਵਿਚ ਦਿਲ ਜਾਨੀ ਪਿਆਰਿਆ,
ਕੇਹੀ ਚੇਟਕ ਲਾਇਆ ਈ ।
ਮੈਂ ਤੇਰੇ ਵਿਚ ਜੱਰਾ ਨਾ ਜੁਦਾਈ,
ਸਾਥੋਂ ਆਪ ਛੁਪਾਇਆ ਈ ।
ਮਝੀਂ ਆਈਆਂ ਰਾਂਝਾ ਯਾਰ ਨਾ ਆਇਆ,
ਫੂਕ ਬਿਰਹੋਂ ਡੋਲਾਇਆ ਈ
ਅੱਖਾਂ ਵਿਚ ਦਿਲ ਜਾਨੀ ਪਿਆਰਿਆ ।
ਮੈਂ ਨੇੜੇ ਮੈਨੂੰ ਦੂਰ ਕਿਉਂ ਦਿਸਨਾ ਏਂ,
ਸਾਥੋਂ ਆਪ ਛੁਪਾਇਆ ਈ
ਅੱਖਾਂ ਵਿਚ ਦਿਲ ਜਾਨੀ ਪਿਆਰਿਆ ।
ਵਿਚ ਮਿਸਰ ਦੇ ਵਾਂਗ ਜ਼ੁਲੈਖ਼ਾਂ,
ਘੁੰਗਟ ਖੋਲ੍ਹ ਰੁਲਾਇਆ ਈ
ਅੱਖਾਂ ਵਿਚ ਦਿਲ ਜਾਨੀ ਪਿਆਰਿਆ ।
ਸ਼ੌਹ ਬੁੱਲ੍ਹੇ ਦੇ ਸਿਰ ਪਰ ਬੁਰਕਾ,
ਤੇਰੇ ਇਸ਼ਕ ਨਚਾਇਆ ਈ
ਅੱਖਾਂ ਵਿਚ ਦਿਲ ਜਾਨੀ ਪਿਆਰਿਆ,
ਕੇਹੀ ਚੇਟਕ ਲਾਇਆ ਈ ।
✍ Bulleh Shah

Title: Bulleh shah poetry || aakhan vich dil jaani peyaareyaa

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Mehfil || shayari

Othe glla bahuut bddia chl reyia c,

Mai sunn k murd ayya,

Ni mai sidha sadha jehha,

Onna di mehfil vicho uth ayya, 

Mai apni aukaat dekh pishe murd ayya,

Appa scooter moter cycle wale,

Ooh audi, mercedes, frarri wale,

Kithe nibb deh yarraneh sadde, 

Ehh he soch k mai pishe murd ayya,

Onna di shottia glla be saddi bddia glla wang, 

Saddi scooter motor cycle waleya naal he nibbdi 

Ethe aukaat dekh k ni yarraneh lgg deh,

Dil mill deh neh jithe, tah firr ?

dil be sadde othe lgg deh,

“JASSAL”………….

Title: Mehfil || shayari


Badshah ki paheli || akbar birbal

बादशाह अकबर को पहेली सुनाने और सुनने का काफी शौक था। कहने का मतलब यह कि पक्के पहेलीबाज थे। वे दूसरो से पहेली सुनते और समय-समय पर अपनी पहेली भी लोगो को सुनाया करते थे। एक दिन अकबर ने बीरबल को एक नई पहेली सुनायी, “ऊपर ढक्कन नीचे ढक्कन, मध्य-मध्य खरबूजा। मौं छुरी से काटे आपहिं, अर्थ तासु नाहिं दूजा।”

बीरबल ने ऐसी पहेली कभी नहीं सुनी थी। इसलिए वह चकरा गया। उस पहेली का अर्थ उसकी समझ में नहीं आ रहा था। अत प्रार्थना करते हुए बादशाह से बोला, “जहांपनाह! अगर मुझे कुछ दिनों की मोहलत दी जाये तो मैं इसका अर्थ अच्छी तरह समझकर आपको बता सकूँगा।” बादशाह ने उसका प्रस्ताव मंजूर कर लिया।

बीरबल अर्थ समझने के लिए वहां से चल पड़ा। वह एक गाँव में पहुँचा। एक तो गर्मी के दिन, दूसरे रास्ते की थकन से परेशान व विवश होकर वह एक घर में घुस गया। घर के भीतर एक लड़की भोजन बना रही थी।

बेटी! क्या कर रही हो?” उसने पूछा। लडकी ने उत्तर दिया, “आप देख नहीं रहे हैं। मैं बेटी को पकाती और माँ को जलाती हूँ।”

अच्छा, दो का हाल तो तुमने बता दिया, तीसरा तेरा बापू क्या कर रहा है और कहाँ है?” बीरबल ने पूछा।

“वह मिट्टी में मिट्टी मिला रहे हैं।” लडकी ने जवाब दिया। इस जवाब को सुनकर बीरबल ने फिर पूछा, “तेरी माँ क्या कर रही है?” एक को दो कर रही है।” लडकी ने कहा।

बीरबल को लडकी से ऐसी आशा नहीं थी। परन्तु वह ऐसी पण्डित निकली कि उसके उत्तर से वह एकदम आश्चर्यचकित रह गया। इसी बीच उसके माता-पिता भी आ पहुँचे। बीरबल ने उनसे सारा समाचार कह सुनाया। लडकी का पिता बोला, मेरी लड़की ने आपको ठीक उत्तर दिया है। अरहर की दाल अरहर की सूखी लकड़ी से पक रही है। मैं अपनी बिरादरी का एक मुर्दा जलाने गया था और मेरी पत्नी पडोस में मसूर की दाल दल रही थी।” बीरबल लडकी की पहेली-भरी बातों से बड़ा खुश हुआ। उसने सोचा, शायद यहां बादशाह की पहेली का भेद खुल जाये, इसलिए लडकी के पिता से उपरोक्त पहेली का अर्थ पूछा।

यह तो बड़ी ही सरल पहेली है। इसका अर्थ मैं आपको बतलाता हूँ – धरती और आकाश दो ढक्कन हैं। उनके अन्दर निवास करने वाला मनुष्य खरबूजा है। वह उसी प्रकार मृत्यु आने पर मर जाता है, जैसे गर्मी से मोम पिघल जाती है।” उस किसान ने कहा। बीरबल उसकी ऐसी बुध्दिमानी देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ और उसे पुरस्कार देकर दिल्ली के लिए प्रस्थान किया। वहाँ पहुँचकर बीरबल ने सभी के सामने बादशाह की पहेली का अर्थ बताया। बादशाह ने प्रसन्न होकर बीरबल को ढेर सारे इनाम दिये।

Title: Badshah ki paheli || akbar birbal