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CHAIN UDH GYA DIL DA | Love Punjab

chen udh gya dil da
naa neend rahi raatan di
tu kaisa rog la dita
aadat pe gai
teriyaan yaadan di, mulakaatan di

ਚੈਨ ਉੱਡ ਗਿਆ ਦਿਲ ਦਾ
ਨਾ ਨੀਂਦ ਰਹੀ ਰਾਤਾਂ ਦੀ
ਤੂੰ ਕੈਸਾ ਰੋਗ ਲਾ ਦਿਤਾ
ਆਦਤ ਪੈ ਗਈ
ਤੇਰੀਆਂ ਯਾਦਾਂ ਦੀ, ਮੁਲਾਕਾਤਾਂ ਦੀ

Title: CHAIN UDH GYA DIL DA | Love Punjab

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


मानव विज्ञान, प्रौद्योगिकी व जनसंख्या विस्फोट

प्रस्तावना

जनसंख्या सामान्यतः एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाती है। हालांकि आबादी शब्द का मतलब केवल मानव आबादी ही नहीं है बल्कि वन्यजीव आबादी और जानवरों तथा अन्य जीवित जीवों की कुल आबादी की पुनरुत्पादन करने की क्षमता है। विडंबना यह है कि जहाँ मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है तो जानवरों की आबादी कम हो रही है।

कैसे मानव विज्ञान और प्रौद्योगिकी मानव जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दिया है?

कई कारक हैं जो पिछले कुछ दशकों से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रमुख कारकों में से एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति है। जहाँ पहले जन्म दर और मनुष्य की मृत्यु दर के बीच एक संतुलन था चिकित्सा विज्ञान में प्रगति ने उसमें असंतुलन पैदा कर दिया है। कई बीमारियों का इलाज करने के लिए दवाएं और आधुनिक चिकित्सा उपकरणों को विकसित किया गया है। इन की मदद से मनुष्य मृत्यु दर कम हो गई है और इससे जनसंख्या में वृद्धि हो गई है।

इसके अलावा तकनीकी विकास ने भी औद्योगीकरण को रास्ता दिखाया है। हालांकि पहले ज्यादातर लोग कृषि गतिविधियों में शामिल थे और उसी के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित करते थे पर अब कई अलग-अलग कारखानों में नौकरी करने की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे क्षेत्रों की आबादी, जहां इन उद्योगों की स्थापना की जाती है, दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

वन्यजीव जनसंख्या पर मानव जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव

जहाँ मानव आबादी विस्फोट के कगार पर है वहीं वन्यजीव आबादी समय गुज़रने के साथ कम हो रही है। पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों की आबादी काफी कम हो गई है जिसका केवल मनुष्य को ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इनमें से कुछ विवरण नीचे दिए गए हैं:

  1. वनों की कटाई

वन्यजीव जानवर जंगलों में रहते हैं। वनों की कटाई का अर्थ है उनके आवास को नष्ट करना। फिर भी मनुष्य निर्दयता से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगलों को काट और नष्ट कर रहा है। जानवरों की कई प्रजातियों में भी कमी आई है और कई लोग अन्य अपने निवास की गिरती गुणवत्ता या नुकसान के कारण विलुप्त हो गए हैं

  1. बढ़ता प्रदूषण

बढ़ता हवा, पानी और भूमि प्रदूषण एक और प्रमुख कारण है कि कई जानवरों की कम उम्र में मृत्यु हो जाती है। पशुओं की कई प्रजातियां बढ़ते प्रदूषण का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें इसके कारण कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है और उसके घातक परिणामों का सामना करना पड़ता है।

  1. जलवायु में परिवर्तन

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जलवायु काफी तेजी से बदल गई है। कई क्षेत्र जिनमें पहले मध्यम बारिश होती थी वहां अब हालात बाढ़ की तरह दिखाई देने लगे हैं। इसी तरह गर्मी के मौसम में हल्के गर्म रहने वाले क्षेत्र अब बेहद गर्म मौसम का अनुभव करते हैं। जहाँ मनुष्य ऐसी स्थितियों के अनुकूल होने के लिए तैयार होते हैं वहीं जानवर इसका सामना नहीं कर सकते।

निष्कर्ष

मनुष्य ने हमेशा अपने पौधों, जानवरों और उनके आसपास के समग्र वातावरण पर प्रभाव की अनदेखी करते हुए अपने आराम और सुख के बारे में सोचा है। अगर मनुष्य इस तरह से व्यवहार करते रहे तो पृथ्वी मनुष्य के अस्तित्व के लिए अब फिट नहीं रहेगी। यह सही समय है कि हमें मानव आबादी को नियंत्रित करने और साथ ही हमारे ग्रह को बर्बाद कर रही प्रथाओं को नियंत्रित करने के महत्व को स्वीकार करना चाहिए।

Title: मानव विज्ञान, प्रौद्योगिकी व जनसंख्या विस्फोट


Ishq mittha jehar || punjabi love shayari || kavita

ਇਸ਼ਕ ਮਿੱਠਾ ਜ਼ਹਿਰ

ਅਸੀਂ ਤੇਰੇ ਹੱਥਾਂ ਤੋਂ ਜ਼ਹਿਰ ਵੀ ਪੀ ਸਕਦੇ ਹਾਂ
ਪਰ ਬਗੈਰ ਤੇਰੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨਹੀਂ ਜੀਅ ਸਕਦੇ ਹਾਂ
ਮੈਨੂੰ ਨੀਂ ਪਤਾ ਕਿ ਤੇਰੀ ਅਖਾਂ ਵਿਚ ਕਿ ਮੂਲ ਹੋਣਾ ਮੇਰਾ
ਪਰ ਅਸੀਂ ਅਨਮੋਲ ਰੱਬ ਦੇ ਥਾਂ ਤੈਨੂੰ ਰਖੀਂ ਬੈਠੇ ਹਾਂ

ਮੇਰੇ ਹਰ ਇੱਕ ਸਵਾਲ ਦਾ ਜਵਾਬ
ਸਿਰਫ ਕੋਲ਼ ਤੇਰੇ ਹੀ ਹੈਂ
ਮੈਨੂੰ ਲਗਦਾ ਦੁਖਾਂ ਦਾ ਐਹ
ਜ਼ਾਲ ਸਿਰਫ਼ ਕੋਲ਼ ਮੇਰੇ ਹੀ ਹੈਂ
ਤੂੰ ਜਵਾਬ ਦੇਈਂ ਹਰ ਇੱਕ ਗੱਲ ਦਾ ਮੇਰਾ
ਕੀ ਇਸ਼ਕ ਨਿਭਾਉਣ ਦੀ ਗੱਲ ਤੇਰੇ ਦਿਲ ਚ ਵੀ ਹੈ
ਜੇ ਨਹੀਂ ਹੈ ਤਾਂ ਕੋਈ ਗੱਲ ਨਹੀਂ
ਏਹ ਇਸ਼ਕ ਹੈ ਅਸੀਂ ਤਾਂ ਜ਼ਹਿਰ ਚੱਖੀ ਬੈਠੇ ਹਾਂ
ਤੈਨੂੰ ਕੀ ਦਸਾਂ ਅਸੀਂ ਅਨਮੋਲ
ਰੱਬ ਦੇ ਥਾਂ ਤੈਨੂੰ ਰਖੀਂ ਬੈਠੇ ਹਾਂ

ਨੁਮਾਇਸ਼ ਨਹੀਂ ਕਰਾਂਗੇ ਤੇਰੇ ਧੋਖੇ ਦੀ
ਰਾਜ਼ ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਦਿਲ ਚ ਹੀ ਰਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ
ਜਿੰਦਗੀ ਤੋਂ ਇੱਕ ਗੱਲ ਸਿੱਖੀ
ਕਦੇ ਸ੍ਵਾਦ ਕੌੜਾ ਵੀ ਚੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ
ਤੂੰ ਫ਼ਿਕਰ ਨਾ ਕਰੀ ਮੇਰੀ
ਮੈਂ ਕਦੇ ਵੀ ਤੇਰਾ ਜਿਕਰ ਨਹੀਂ ਕਰਾਂਗਾ
ਮੇਰੀ ਗੱਲ ਮੰਨੋਂ ਤਾਂ ਛੱਡੇਂ ਯਾਰ ਦਾ ਨਾਂ ਵੀ ਭੁਲਾ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ
ਐਹ ਆਸ਼ਕ ਸਾਰੇ ਜ਼ਹਿਰ ਚੱਖੀ ਬੈਠੇ ਹਾਂ
ਕੀ ਕਹਿਣਾ ਕਮਲਿਆ ਦਾ ਅਨਮੋਲ
ਰੱਬ ਦੇ ਥਾਂ ਯਾਰ ਨੂੰ ਰਖੀਂ ਬੈਠੇ ਹਾਂ
—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ

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