Rabba kujh aisa kar ke
ohnu dard hon te mainu mehsoos na howe
ਰੱਬਾ ਕੁਝ ਐਸਾ ਕਰ ਕਿ
ਉਹਨੂੰ ਦਰਦ ਹੋਣ ਤੇ
ਮੈਨੂੰ ਮਹਿਸੂਸ ਨਾ ਹੋਵੇ
Rabba kujh aisa kar ke
ohnu dard hon te mainu mehsoos na howe
ਰੱਬਾ ਕੁਝ ਐਸਾ ਕਰ ਕਿ
ਉਹਨੂੰ ਦਰਦ ਹੋਣ ਤੇ
ਮੈਨੂੰ ਮਹਿਸੂਸ ਨਾ ਹੋਵੇ
कुछ नहीं है बात में, ये बात चुभती भी तो है,
भोर की पहली किरण भी सांझ में ढलती तो है,
उड़ता हूं मैं बाज़ सा आसमां की उस ऊंचाई में,
जिस तेज ताप पर, थोड़ी हवा चलती तो है,
गिरता हूं मैं उठता हूं कभी धरती कभी अंगड़ाई पे
जिंदगी भी दर बदर पर, जिंदगी चलती तो है,
बात इतनी ही नहीं के कायदे भी अब रो रहे,
सर झुका कर चलती दुनिया देख खलती भी तो है...
मनाता हूं तो मान जाती है, फितरत तो आज भी वैसी है..
जहां जाकर भी वो मुझे ना भूली, ना जाने वो दुनिया कैसी है..
ना कर सका अलग उसे खुदा भी मुझसे, मेरे प्यार की ताकत ऐसी है..
उसके बाद ना मिला मुझे कोई भी ऐसा, जिसे कह सकूँ के उसके जैसी है..