Hamdard bhi ab hai
Dard bn k reh geya
Chlna nahi ab ishq
Ki raho PE dhoka
Tera yeh keh geya
Hamdard bhi ab hai
Dard bn k reh geya
Chlna nahi ab ishq
Ki raho PE dhoka
Tera yeh keh geya
Meri rooh teri muskurahat se aise kaise jud gayi…
Mehsoos tak na hua humari Zindagi tumhari kab ho gayi…🙈
मेरी रूह तेरी मुस्कुराहट से ऐसे कैसे जुड़ गई
महसूस तक न हुआ हमारी ज़िंदगी तुम्हारी कब हो गई…🙈
लिखता मैं किसान के लिए
मैं लिखता इंसान के लिए
नहीं लिखता धनवान के लिए
नहीं लिखता मैं भगवान के लिए
लिखता खेत खलियान के लिए
लिखता मैं किसान के लिए
नहीं लिखता उद्योगों के लिए
नहीं लिखता ऊँचे मकान के लिए
लिखता हूँ सड़कों के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
क़लम मेरी बदलाव बड़े नहीं लाई
नहीं उम्मीद इसकी मुझे
खेत खलियान में बीज ये बो दे
सड़क का एक गढ्ढा भर देती
ये काफ़ी इंसान के लिए
लिखता हूँ किसान के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
आशा नहीं मुझे जगत पढ़े
पर जगत का एक पथिक पढ़े
फिर लाए क्रांति इस समाज के लिए
इसलिए लिखता मैं दबे-कुचलों के लिए
पिछड़े भारत से ज़्यादा
भूखे भारत से डरता हूँ
फिर हरित क्रांति पर लिखता हूँ
फिर किसान पर लिखता हूँ
क्योंकि
लिखता मैं किसान के लिए
लिखता मै इंसान के लिए