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स्त्री हूं मैं
स्त्री हूं मैं……
स्त्री हूं मैं मेरा कहां सम्मान होता है
मेरे कपड़ों से मेरा चरित्र भाप लिया जाता है।
अगर जींस या वेस्टर्न ड्रेस पहन लूं मैं
तो मैं बिगड़ी हुई मान ली जाती हूं।
अगर मैं साड़ी भी पहनूं तो भी
उसमे भी खोट नजर आती है।
मेरी साड़ी में भी कमिया ही नजर आती है।
यहां तो एक औरत भी औरत का सम्मान नही करती
एक औरत को दूसरी औरत में भी खोट नजर आती है।
मेरे कपड़ों में कोई कमी नहीं कमी तुम्हारी नज़र में है
मैं कुछ भी पहन लूं तुम्हे कमी नजर आनी ही है।
Title: स्त्री हूं मैं
Musafir || Hindi shayari or ghazal
Kuch begairat sawalon ke jwab hazir hain
Kuch bhooli bisri yaadein aaj bhi mutasir hain
Ek mashal jala kar chand dhundne chale the
Dekh lo tum bhi, vo kal bhi musafir the aaj bhi musafir hain…✨💯
कुछ बेगैरत सवालों के जवाब हाज़िर हैं,
कुछ भूली बिसरी यादें आज भी मुतासिर हैं,
एक मशाल जला कर चांद ढूंढने चले थे,
देख लो तुम भी, वो कल भी मुसाफिर थे आज भी मुसाफिर हैं…✨💯
