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Gira toh fir bhi || hindi shayari and kavita

गिरा तो फ़िर कभी,उठा ना मिला

बंदों का हुज़ूम था,खुदा ना मिला

ज़िस्म ना मिले,तो क्या हुआ यार

वो दिल से कभी, जुदा ना मिला

परिंदों के जैसा था, इश्क़ उसका

कोई वादा, कोई वास्ता ना मिला

ऐसे हुआ दिल पर,कब्ज़ा उसका

धड़कनों को भी, रास्ता ना मिला

उसके शाहपरस्त भी हैं,बादशाह

कोई भी पत्थर,तरास्ता ना मिला

Title: Gira toh fir bhi || hindi shayari and kavita

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Hindi poetry || desh poetry कविता – शहादत के बोल

माथे पे तिलक लगाकर कूद पड़े थे अंग़ारो पे,
माटी की लाज के लिए उनके शीश थे तलवारों पे।
भगत सिंह की दहाड़ के मतवाले वो निर्भर नहीं थे किन्ही हथियारों पे,
अरे जब देशहित की बात आए तो कभी शक ना करो सरदारों पे॥
आज़ादी की थी ऐसी लालसा की चट्टानों से भी टकरा गये,
चंद आज़ादी के रणबाँकुरो के आगे लाखों अंग्रेज मुँह की खा गये।
विद्रोह की हुंकार से गोरों पे मानो मौत के बादल छा गये,
अरे ये वही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव है जिनकी बदौलत हम आज़ादी पा गये॥
आज़ादी मिली पर इंक़लाब की आग में अपने सब सुख-दुःख वो भूल गये,
जननी से बड़ी माँ धरती जिसकी ख़ातिर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु झूल गये॥
अब राह तक रही उस माँ को कौन जाके समझाएगा,
कैसे बोलेगा उसको की माँ अब तेरा लाल कभी नहीं आएगा।
बस इतना कहूँगा कि धन्य हो जाएगा वो आँचल जो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु सा बेटा पाएगा,
क्योंकि इस माटी का हर कण और बच्चा-बच्चा उसे अपने दिल में बसाएगा॥

Title: Hindi poetry || desh poetry कविता – शहादत के बोल


Odi kahi gal yaad || yaad shayari punjabi

Odi kahi har gal yaad h
Ode nal bite sare pal yaad h
Ovi chngi trah yaad h menu
Par ki ohnu Dhillon yaad h

Title: Odi kahi gal yaad || yaad shayari punjabi