Halaat anusaar badlana sikho
saari umar zindagi iko jehi nahi rehndi
ਹਲਾਤਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਬਦਲਣਾ ਸਿੱਖੋ..
ਸਾਰੀ ਉਮਰ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਇੱਕੋ ਜਿਹੀ ਨਹੀ ਰਹਿੰਦੀ🙃..
Halaat anusaar badlana sikho
saari umar zindagi iko jehi nahi rehndi
ਹਲਾਤਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਬਦਲਣਾ ਸਿੱਖੋ..
ਸਾਰੀ ਉਮਰ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਇੱਕੋ ਜਿਹੀ ਨਹੀ ਰਹਿੰਦੀ🙃..
Patte gir sakte hai par ped nhi
Suraj doob sakta hai par aasmaan nhi
Dharti sukh sakti hai pr sagar nhi
Tumhe duniya bhool skti hai par hum nhi✌
पत्ते गिर सकते है पर पेड़ नहीं,
सूरज डूब सकता है पर आसमान नहीं,
धरती सुख सकती है पर सागर नहीं,
तुम्हे दुनिया भूल सकती है पर हम नहीं✌
बीरबल की सूझबूझ और हाजिर जवाबी से बादशाह अकबर बहुत रहते थे। बीरबल किसी भी समस्या का हल चुटकियों में निकाल देते थे। एक दिन बीरबल की चतुराई से खुश होकर बादशाह अकबर ने उन्हें इनाम देने की घोषणा कर दी।
काफी समय बीत गया और बादशाह इस घोषणा के बारे में भूल गए। उधर बीरबल इनाम के इंतजार में कब से बैठे थे। बीरबल इस उलझन में थे कि वो बादशाह अकबर को इनाम की बात कैसे याद दिलाएं।
एक शाम बादशाह अकबर यमुना नदी के किनारे सैर का आनंद उठा रहे थे कि उन्हें वहां एक ऊंट घूमता हुआ दिखाई दिया। ऊंट की गर्दन देख राजा ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, क्या तुम जानते हो कि ऊंट की गर्दन मुड़ी हुई क्यों होती है?”
बादशाह अकबर का सवाल सुनते ही बीरबल को उन्हें इनाम की बात याद दिलाने का मौका मिल गया। बीरबल से झट से उत्तर दिया, “महाराज, दरअसल यह ऊंट किसी से किया हुआ अपना वादा भूल गया था, तब से इसकी गर्दन ऐसी ही है। बीरबल ने आगे कहा, “लोगों का यह मानना है कि जो भी व्यक्ति अपना किया हुआ वादा भूल जाता है, उसकी गर्दन इसी तरह मुड़ जाती है।”
बीरबल की बात सुनकर बादशाह हैरान हो गए और उन्हें बीरबल से किया हुआ अपना वादा याद आ गया। उन्होंने बीरबल से जल्दी महल चलने को कहा। महल पहुंचते ही बादशाह अकबर ने बीरबल को इनाम दिया और उससे पूछा, “मेरी गर्दन ऊंट की तरह तो नहीं हो जाएगी न?” बीरबल ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “नहीं महाराज।” यह सुनकर बादशाह और बीरबल दोनों ठहाके लगाकर हंस दिए।
इस तरह बीरबल ने बादशाह अकबर को नाराज किए बगैर उन्हें अपना किया हुआ वादा याद दिलाया और अपना इनाम लिया।