
ishq de raah bade awale ne
ithe diwe hanjuaan de baale jande ne
te aag dil diyaan vaatiyaan te lai jaandi hai

ishq de raah bade awale ne
ithe diwe hanjuaan de baale jande ne
te aag dil diyaan vaatiyaan te lai jaandi hai
एक दिन बीरबल बाग में टहलते हुए सुबह की ताजा हवा का आनंद ले रहा था कि अचानक एक आदमी उसके पास आकर बोला, “क्या तुम मुझे बता सकते हो कि बीरबल कहां मिलेगा ?”
“बाग में।” बीरबल बोला।
वह आदमी थोड़ा सकपकाया लेकिन फिर संभलकर बोला, “वह कहां रहता है ?”
“अपने घर में।” बीरबल ने उत्तर दिया।
हैरान-परेशान आदमी ने फिर पूछा, “तुम मुझे उसका पूरा पता ठिकाना क्यों नहीं बता देते ?”
“क्योंकि तुमने पूछा ही नहीं।” बीरबल ने ऊंचे स्वर में कहा।
“क्या तुम नहीं जानते कि मैं क्या पूछना चाहता हूं ?” उस आदमी ने फिर सवाल किया।
“नहीं।’ बीरबल का जवाब था।
वह आदमी कुछ देर के लिए चुप हो गया, बीरबल का टहलना जारी था। उस आदमी ने सोचा कि मुझे इससे यह पूछना चाहिए कि क्या तुम बीरबल को जानते हो ? वह फिर बीरबल के पास जा पहुंचा, बोला, “बस, मुझे केवल इतना बता दो कि क्या तुम बीरबल को जानते हो ?” “हां, मैं जानता हूं।” जवाब मिला।
“तुम्हारा क्या नाम है ?” आदमी ने पूछा।
“बीरबल।” बीरबल ने उत्तर दिया।
अब वह आदमी भौचक्का रह गया। वह बीरबल से इतनी देर से बीरबल का पता पूछ रहा था और बीरबल था कि बताने को तैयार नहीं हुआ कि वही बीरबल है। उसके लिए यह बेहद आश्चर्य की बात थी।
“तुम भी क्या आदमी हो…” कहता हुआ वह कुछ नाराज सा लग रहा था, “मैं तुमसे तुम्हारे ही बारे में पूछ रहा था और तुम न जाने क्या-क्या ऊटपटांग बता रहे थे। बताओ, तुमने ऐसा क्यों किया ?”
“मैंने तुम्हारे सवालों का सीधा-सीधा जवाब दिया था, बस !”
अंततः वह आदमी भी बीरबल की बुद्धि की तीक्ष्णता देख मुस्कराए बिना न रह सका।
ਉਜੜਾ ਦੇਖ ਖੁਸ਼ ਹੁੰਦੇ ਲੋਕੀ,
ਕਹਿਣ ਖੁਦ ਨੂੰ ਬਸ ਸਿਆਣੇਂ,
ਇਹ ਗੱਲ ਉਹ ਭੁੱਲ ਜਾਂਦੇ ਨੇ,
ਦਿਨ ਚੰਗੇ ਮਾੜੇ ਸਭ ਤੇ ਆਣੇ,
ਅੱਜ ਕਿਸੇ ਨੇ ਕੀ ਸਮਝਣਾ ਮੈਨੂੰ,
ਕਿਵੇਂ ਬਦਲੇ ਜਾਂਦੇ ਨੇ ਟਿਕਾਣੇ,
ਪੀੜ ਪਰਾਈ ਕੋਈ ਸਮਝ ਨੀ ਸਕਿਆ,
ਆਖਿਰ ਜਿਸ ਤਣ ਲੱਗੇ ਸੋਈ ਜਾਣੈ।।