वो ग़ज़ल लिखते है,
और हम सुनते है।
वो सबपे लिखते है,
और हम नासमझ खुद पे समझते है।
वो ग़ज़ल लिखते है,
और हम सुनते है।
वो सबपे लिखते है,
और हम नासमझ खुद पे समझते है।
तू चलता चल ऐ बंदेया
माना मुश्किल , है सफ़र
पर जब साथ हो कोई हमदर्द
तो किस बात का डर
तू चलता चल ऐ बंदेया….
बपिस मुड़ना अब यहाँ से
माना है , जिस राह पर तू चला है
रुक , ठहर , खुद से खुद की लिए इजाज़त माँग,
फिरसे खड़कर , द्रिड होकर, चट्टान सा बनकर
तू चलता चल ऐ बंदेया…
तुझे रखना पड़ेगा खुद को प्रत्येक रूप से तयार
क्यूँकि इस संसार में ना रख सकते प्यार का , ना यार का ऐतबार
पर मुश्किल समय में ग़ैरों का हौंसला ज़रूर बनना मेरे यार
यहाँ आजकल कोन आता है छोड़कर अपना घर व्यापार
तू बुलंदियाँ छूता चल ऐ बंदेया ,तू चलता चल ऐ बंदेया ,
तू चलता चल ऐ बंदेया…….।
Fadeya e hath tera
Hun nhi shadd de
Chal pye aa tere naal ishq diyan rahwa te
Hun kujh marzi hoje sajjna
Par hun nhi tenu shadd de❤
ਫੜਿਆ ਏ ਹੱਥ ਤੇਰਾ
ਹੁਣ ਨੀ ਛੱਡ ਦੇ
ਚੱਲ ਪਏ ਆ ਤੇਰੇ ਨਾਲ ਇਸ਼ਕ ਦੀਆਂ ਰਾਹਵਾਂ ਤੇ
ਹੁਣ ਕੁਝ ਮਰਜੀ ਹੋਜੇ ਸੱਜਣਾ
ਪਰ ਹੁਣ ਨੀ ਤੈਨੂੰ ਛੱਡਦੇ❤