
Likh likh geet guzaare hone
mai ta hareya c dil tere to
hun tenu v mere yaad supne pyaare hone
maaf kari je hoyi hove galti koi russi na
ambraa ch jinne v ne taare gin lai
Arsh di tarfo tere kadma ch saare hone..
करवट बदलकर सोने की कोशिश की, नींद फिर भी ना आई..
रात कमरे में बस हम दोनो थे, मैं और मेरी तनहाई..
उसे पसंद नहीं मुझसे दूर जाना, और मैने कभी वो पास ना बुलाई..
आखिर में बैठकर बातें की उससे, और जान पहचान बढ़ाई..
उसने कहा साथ उसे अच्छा लगता है मेरा, पर मुझे वो रास न आई..
समझाया उसे दूर होजा मुझसे, इतनी सी बात भी उसे समझ ना आई..
आखिर में अपनाना पड़ा उसे, वो तो मुझे छोड़ ना पाई..
जब अपनाकर उसे, आंखें बंद की मैने, तब जाकर कहीं मुझे नींद आई….