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Intezaar tera || Punjabi shayari

Swere uth likhda haan shayari
Tere khayalan ton bgair koi khayal ni
Mohobbat ch edda hi sabhnu lagda e?
Jive menu lagda har ek pal saal ni
Fer din ch kyi vaar zikar tera aunda e
Tenu parwah nhi meri eh khayal aunda e
Nindra udd gyian khulli akhan ch supne tere
Kde nikal supneya cho sahmne vi taan aaya kar
Kinne hi saal ho gye hun intezaar ch tere 🍂

ਸਵੇਰੇ ਉੱਠ ਲਿਖਦਾ ਹਾਂ ਸ਼ਾਇਰੀ
ਤੇਰੇ ਖਿਆਲਾ ਤੋਂ ਬਗੈਰ ਕੋਈ ਖਿਆਲ ਨੀ
ਮਹੁੱਬਤ ‘ਚ ਇਦਾਂ ਹੀ ਸਭਨੂੰ ਲੱਗਦਾ ਏ ?
ਜਿਵੇਂ ਮੈਨੂੰ ਲੱਗਦਾ ਹਰ ਇੱਕ ਪਲ ਸਾਲ ਨੀ
ਫੇਰ ਦਿਨ ‘ਚ ਕਈ ਵਾਰ ਜ਼ਿਕਰ ਤੇਰਾ ਆਉਂਦਾ ਏ
ਤੈਨੂੰ ਪ੍ਰਵਾਹ ਨਹੀਂ ਮੇਰੀ ਇਹ ਖਿਆਲ ਆਉਂਦਾ ਏ
ਨਿੰਦਰਾ ਉੱਡ ਗਈਆਂ ਖੁੱਲੀ ਅੱਖਾਂ ‘ਚ ਸੁਪਨੇ ਤੇਰੇ
ਕਦੇ ਨਿਕਲ ਸੁਪਨਿਆਂ ਚੋਂ ਸਾਹਮਣੇ ਵੀ ਤਾਂ ਆਇਆ ਕਰ
ਕਿੰਨੇ ਹੀ ਸਾਲ ਹੋ ਗਏ ਹੁਣ ਇੰਤਜਾਰ ‘ਚ ਤੇਰੇ🍂

Title: Intezaar tera || Punjabi shayari

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Badshah ki paheli || akbar birbal

बादशाह अकबर को पहेली सुनाने और सुनने का काफी शौक था। कहने का मतलब यह कि पक्के पहेलीबाज थे। वे दूसरो से पहेली सुनते और समय-समय पर अपनी पहेली भी लोगो को सुनाया करते थे। एक दिन अकबर ने बीरबल को एक नई पहेली सुनायी, “ऊपर ढक्कन नीचे ढक्कन, मध्य-मध्य खरबूजा। मौं छुरी से काटे आपहिं, अर्थ तासु नाहिं दूजा।”

बीरबल ने ऐसी पहेली कभी नहीं सुनी थी। इसलिए वह चकरा गया। उस पहेली का अर्थ उसकी समझ में नहीं आ रहा था। अत प्रार्थना करते हुए बादशाह से बोला, “जहांपनाह! अगर मुझे कुछ दिनों की मोहलत दी जाये तो मैं इसका अर्थ अच्छी तरह समझकर आपको बता सकूँगा।” बादशाह ने उसका प्रस्ताव मंजूर कर लिया।

बीरबल अर्थ समझने के लिए वहां से चल पड़ा। वह एक गाँव में पहुँचा। एक तो गर्मी के दिन, दूसरे रास्ते की थकन से परेशान व विवश होकर वह एक घर में घुस गया। घर के भीतर एक लड़की भोजन बना रही थी।

बेटी! क्या कर रही हो?” उसने पूछा। लडकी ने उत्तर दिया, “आप देख नहीं रहे हैं। मैं बेटी को पकाती और माँ को जलाती हूँ।”

अच्छा, दो का हाल तो तुमने बता दिया, तीसरा तेरा बापू क्या कर रहा है और कहाँ है?” बीरबल ने पूछा।

“वह मिट्टी में मिट्टी मिला रहे हैं।” लडकी ने जवाब दिया। इस जवाब को सुनकर बीरबल ने फिर पूछा, “तेरी माँ क्या कर रही है?” एक को दो कर रही है।” लडकी ने कहा।

बीरबल को लडकी से ऐसी आशा नहीं थी। परन्तु वह ऐसी पण्डित निकली कि उसके उत्तर से वह एकदम आश्चर्यचकित रह गया। इसी बीच उसके माता-पिता भी आ पहुँचे। बीरबल ने उनसे सारा समाचार कह सुनाया। लडकी का पिता बोला, मेरी लड़की ने आपको ठीक उत्तर दिया है। अरहर की दाल अरहर की सूखी लकड़ी से पक रही है। मैं अपनी बिरादरी का एक मुर्दा जलाने गया था और मेरी पत्नी पडोस में मसूर की दाल दल रही थी।” बीरबल लडकी की पहेली-भरी बातों से बड़ा खुश हुआ। उसने सोचा, शायद यहां बादशाह की पहेली का भेद खुल जाये, इसलिए लडकी के पिता से उपरोक्त पहेली का अर्थ पूछा।

यह तो बड़ी ही सरल पहेली है। इसका अर्थ मैं आपको बतलाता हूँ – धरती और आकाश दो ढक्कन हैं। उनके अन्दर निवास करने वाला मनुष्य खरबूजा है। वह उसी प्रकार मृत्यु आने पर मर जाता है, जैसे गर्मी से मोम पिघल जाती है।” उस किसान ने कहा। बीरबल उसकी ऐसी बुध्दिमानी देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ और उसे पुरस्कार देकर दिल्ली के लिए प्रस्थान किया। वहाँ पहुँचकर बीरबल ने सभी के सामने बादशाह की पहेली का अर्थ बताया। बादशाह ने प्रसन्न होकर बीरबल को ढेर सारे इनाम दिये।

Title: Badshah ki paheli || akbar birbal


Humne bhi keh diya alwida || sad shayari

Aaj hmne b keh diya alwida..
Us shakhs ko..
Jiske pass hamari bat sunne tk ka waqt nhi..!!
Aaj hamne b keh diya alwida us shakhs ko jiske pass hmari bat sunne tk ka waqt nhi