itana, aasaan hoon ki har kisee ko samajh aa jaata hoon,
shaayad tumane hee… panne chhod chhod kar padha hai mujhe..
इतना, आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाता हूँ,
शायद तुमने ही… पन्ने छोड़ छोड़ कर पढ़ा है मुझे..
itana, aasaan hoon ki har kisee ko samajh aa jaata hoon,
shaayad tumane hee… panne chhod chhod kar padha hai mujhe..
इतना, आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाता हूँ,
शायद तुमने ही… पन्ने छोड़ छोड़ कर पढ़ा है मुझे..
गजल (बे बहर)
जाने क्या हो गया है कैसी इम्तिहान की घड़ी है,
एक आशिक पे ये कैसी सजा आन पड़ी है!
आस भी क्या लगाएं अबकी होली पे हम उनसे,
दुनिया की ये खोखली रस्में तलवार लिए खड़ी है!
मैंने देखें हैं गेसुओं के हंसते रुखसार पे लाली
मगर हमारे चेहरे पे फिर आंसुओं की लड़ी है!
दर्द है, हिज्र है,और धुंधली सी तस्वीर का साया भी
तुम महलों में रहते हो तुमको हमारी क्यों पड़ी है !!
कैसे मुकर जाऊं मैं खुद से किए वादों से अभी,
अब मेरे हाथों में ज़िम्मेदारियों की हथकड़ी है!
तुमको को प्यार है दौलत ए जहां से अच्छा है,
मगर इस जहान में मेरे लिए मां सबसे बड़ी है !!