
Ja behadd nafrat kar te chadd ke chla ja..!!
उल्टे सीधे सपने पाले बैठे हैं
सब पानी में काँटा डाले बैठे हैं
इक बीमार वसीयत करने वाला है
रिश्ते नाते जीभ निकाल बैठे हैं
बस्ती का मामूल पे आना मुश्किल है
चौराहे पर वर्दी वाले बैठे हैं
धागे पर लटकी है इज़्ज़त लोगों की
सब अपनी दस्तार सँभाले बैठे हैं
साहब-ज़ादा पिछली रात से ग़ायब है
घर के अंदर रिश्ते वाले बैठे हैं
आज शिकारी की झोली भर जाएगी
आज परिंदे गर्दन डाले बैठे हैं
Ek glti ham roz kar rahe hai
Ki ek galti ham roz kar rahe hai
Jo hame milega nahi ham usi par mar rahe hai🍀
एक गलती हम रोज कर रहे हैं
की एक गलती हम रोज़ कर रहे हैं
जो हमें मिलेगा नही हम उसी पर मर रहे हैं🍀