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Khanzar maareyaa || sad dard shayari punjabi

darda nu lai ishq da karz taareyaa
jaan jo kehnda si dhokha de ke aune faraz ishq da taareyaa
fikar audi assa karde rahe naal jeonde te marde rahe
kami taa kite v nahi si ishq ch
par chhad ke ohne pithh te khanzar mareyaa

ਦਰਦਾ ਨੂੰ ਲੇ ਕੇ ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕਰਜ਼ ਤਾਰਿਆਂ
ਜਾਨ ਜੋ ਕਹਿੰਦਾ ਸੀ ਧੋਖਾ ਦੇ ਕੇ ਔਣੇ ਫਰਜ਼ ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਤਾਰਿਆਂ
ਫ਼ਿਕਰ ਔਦੀ ਅਸਾਂ ਕਰਦੇ ਰਹੇ ਨਾਲ ਜਿਉਂਦੇ ਤੇ ਮਰਦੇ ਰਹੇ
ਕਮਿ ਤਾਂ ਕਿਤੇ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ ਇਸ਼ਕ ਚ ਪਰ ਛੱਡ ਕੇ ਉਹਣੇ ਪਿਠ ਤੇ ਖੰਜ਼ਰ ਮਾਰਿਆ

—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ 🌷

 

 

Title: Khanzar maareyaa || sad dard shayari punjabi

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Birbal story in hindi

बीरबल कहाँ मिलेगा     

एक दिन बीरबल बाग में टहलते हुए सुबह की ताजा हवा का आनंद ले रहा था कि अचानक एक आदमी उसके पास आकर बोला, “क्या तुम मुझे बता सकते हो कि बीरबल कहां मिलेगा ?”

“बाग में।” बीरबल बोला।

वह आदमी थोड़ा सकपकाया लेकिन फिर संभलकर बोला, “वह कहां रहता है ?”

“अपने घर में।” बीरबल ने उत्तर दिया।

हैरान-परेशान आदमी ने फिर पूछा, “तुम मुझे उसका पूरा पता ठिकाना क्यों नहीं बता देते ?”

“क्योंकि तुमने पूछा ही नहीं।” बीरबल ने ऊंचे स्वर में कहा।

“क्या तुम नहीं जानते कि मैं क्या पूछना चाहता हूं ?” उस आदमी ने फिर सवाल किया।

“नहीं।’ बीरबल का जवाब था।

वह आदमी कुछ देर के लिए चुप हो गया, बीरबल का टहलना जारी था। उस आदमी ने सोचा कि मुझे इससे यह पूछना चाहिए कि क्या तुम बीरबल को जानते हो ? वह फिर बीरबल के पास जा पहुंचा, बोला, “बस, मुझे केवल इतना बता दो कि क्या तुम बीरबल को जानते हो ?” “हां, मैं जानता हूं।” जवाब मिला।

“तुम्हारा क्या नाम है ?” आदमी ने पूछा।

“बीरबल।” बीरबल ने उत्तर दिया।

अब वह आदमी भौचक्का रह गया। वह बीरबल से इतनी देर से बीरबल का पता पूछ रहा था और बीरबल था कि बताने को तैयार नहीं हुआ कि वही बीरबल है। उसके लिए यह बेहद आश्चर्य की बात थी।

“तुम भी क्या आदमी हो…” कहता हुआ वह कुछ नाराज सा लग रहा था, “मैं तुमसे तुम्हारे ही बारे में पूछ रहा था और तुम न जाने क्या-क्या ऊटपटांग बता रहे थे। बताओ, तुमने ऐसा क्यों किया ?”

“मैंने तुम्हारे सवालों का सीधा-सीधा जवाब दिया था, बस !”

अंततः वह आदमी भी बीरबल की बुद्धि की तीक्ष्णता देख मुस्कराए बिना न रह सका।

Title: Birbal story in hindi


खुद में पहले इंसान ढूंढे || shayari hindi

अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे,
जिसको न मिले वही ढूंढे ..

रात आयी है, सुबह भी होगी,
आधी रात में कौन सुबह ढूंढे..

जिंदगी है जी खोल कर जियो,
रोज़ रोज़ क्यों जीने की वजह ढूंढ़े..

चलते फिरते पत्थरों के शहर में,
पत्थर खुद पत्थरों में भगवान ढूंढ़े..

धरती को जन्नत बनाना है अगर,
हर शख्स खुद में पहले इंसान ढूंढे…!!!

Title: खुद में पहले इंसान ढूंढे || shayari hindi