शाम बीती और रात हुई, गमों की फिर बरसात हुई..
तुझे भुलने को फिर से जाम पिया, गलती फिर मेरे हाथ हुई..
फिर से बहक गए लफ्ज मेरे, लफ्जों पे फिर से दात हुई..
दिलजले थे वहां कई मुझ जैसे, उनकी भी इश्क में मात हुई..
वही एक तरह का हर किस्सा, इश्क की भी भला कोई जात हुई..
हर कहानी ख़ुशी से शुरू हुई, ख़तम आंसुओं के साथ हुई..
महफिल को छोड़ चले घर की ओर, तन्हाई से फिर मुलाकात हुई..
तेरी याद बढ़ गई हर जाम के साथ, भला ये भी कोई बात हुई..
Dill apne nu samjande reh-gaye honi odi koi majburri a
ki ptaa c dill oss vich koi chori a
gallaa krdi rendi c mithiya naal mere . .
lagdaa hunn hoggi honii satho Tu borr kudey….