
chootha pyar karna sanu aunda ni
haale vi chaune aa kina sajjna nu
eh vi kise agge kade jataunda ni
Tu reh befikraa
asi teri fikar vich jeonde rahaange
tu maadha taa kade v nahi si
maadhe taa asi aa te aish gal nu yaad karke
asi holi holi marde rahange
ਤੂੰ ਰੇਹ ਬੇਫਿਕਰਾ
ਅਸੀਂ ਤੇਰੀ ਫ਼ਿਕਰ ਵਿੱਚ ਜਿਉਂਦੇ ਰਹਾਂਗੇ
ਤੂੰ ਮਾੜਾ ਤਾਂ ਕਦੇ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ
ਮਾੜੇ ਤਾਂ ਅਸੀਂ ਆ ਤੇ ਐਸ਼ ਗਲ਼ ਨੂੰ ਯਾਦ ਕਰਕੇ
ਅਸੀਂ ਹੋਲ਼ੀ ਹੋਲ਼ੀ ਮਰਦੇ ਰਹਾਂਗੇ
—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ 🌷
अकबर बीरबल की हाज़िर जवाबी के बडे कायल थे। एक दिन दरबार में खुश होकर उन्होंने बीरबल को कुछ पुरस्कार देने की घोषणा की। लेकिन बहुत दिन गुजरने के बाद भी बीरबल को पुरस्कार की प्राप्त नहीं हुई। बीरबल बडी ही उलझन में थे कि महाराज को याद दिलायें तो कैसे?
एक दिन महारजा अकबर यमुना नदी के किनारे शाम की सैर पर निकले। बीरबल उनके साथ था। अकबर ने वहाँ एक ऊँट को घुमते देखा। अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल बताओ, ऊँट की गर्दन मुडी क्यों होती है”?
बीरबल ने सोचा महाराज को उनका वादा याद दिलाने का यह सही समय है। उन्होंने जवाब दिया – “महाराज यह ऊँट किसी से वादा करके भूल गया है, जिसके कारण ऊँट की गर्दन मुड गयी है। महाराज, कहते हैं कि जो भी अपना वादा भूल जाता है तो भगवान उनकी गर्दन ऊँट की तरह मोड देता है। यह एक तरह की सजा है।”
तभी अकबर को ध्यान आता है कि वो भी तो बीरबल से किया अपना एक वादा भूल गये हैं। उन्होंने बीरबल से जल्दी से महल में चलने के लिये कहा। और महल में पहुँचते ही सबसे पहले बीरबल को पुरस्कार की धनराशी उसे सौंप दी, और बोले मेरी गर्दन तो ऊँट की तरह नहीं मुडेगी बीरबल। और यह कहकर अकबर अपनी हँसी नहीं रोक पाए।
और इस तरह बीरबल ने अपनी चतुराई से बिना माँगे अपना पुरस्कार राजा से प्राप्त किया।