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Kiski dadhi ki aag || akbar birbal kahani

बादशाह अकबर की यह आदत थी कि वह अपने दरबारियों से तरह-तरह के प्रश्न किया करते थे। एक दिन बादशाह ने दरबारियों से प्रश्न किया, “अगर सबकी दाढी में आग लग जाए, जिसमें मैं भी शामिल हूं तो पहले आप किसकी दाढी की आग बुझायेंगे?”

“हुजूर की दाढी की” सभी सभासद एक साथ बोल पड़े।

मगर बीरबल ने कहा – “हुजूर, सबसे पहले मैं अपनी दाढी की आग बुझाऊंगा, फिर किसी और की दाढी की ओर देखूंगा।”

बीरबल के उत्तर से बादशाह बहुत खुश हुए और बोले- “मुझे खुश करने के उद्देश्य से आप सब लोग झूठ बोल रहे थे। सच बात तो यह है कि हर आदमी पहले अपने बारे में सोचता है।”

Title: Kiski dadhi ki aag || akbar birbal kahani

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Badha khudgarj ishq tha tumaahara

बड़ा खुदगर्ज इश्क था तुम्हारा 

खुद में ही सिमट कर रह गया

रोया मैं भी तेरे बाद बोहोत 

फिर चुप चाप कही बैठ गया

और दिल हल्का हुआ तेरे बारे में बोलकर 

जब एक दिन में यारो की महफिल में बैठ गया

Title: Badha khudgarj ishq tha tumaahara