उतरा है मेरे दिल मे कोई चांद नगर से
अब हो गया इश्क अंधेरे के सफर से
वो बात है तुझमे कोई तुझसा नही कही
नज़र ना लग जाये तुझको मेरी नज़र से
Mukul
उतरा है मेरे दिल मे कोई चांद नगर से
अब हो गया इश्क अंधेरे के सफर से
वो बात है तुझमे कोई तुझसा नही कही
नज़र ना लग जाये तुझको मेरी नज़र से
Mukul
कभी उसकी यादें ठहर जाती हैं आकर, कभी टकराकर चली जाती हैं..
कभी गमों में डूबाये रखती हैं मुझे, कभी हंसाकर चली जाती हैं..
आज भी वो मेरे आस-पास है, कभी ये अहसास दिलाकर चली जाती है..
कभी एक झलक उसकी पाने को तरसूं, दिल जला कर चली जाती है..
उसका सपनों में आना-जाना यूं है जैसे, झपकी आकर चली जाती है..
मैं सुकून भरी नींद के इंतजार में होता हूं, सबको आकर चली जाती है..
