Is bhari kayanat mein ya rab
Apne rehne ko ek ghar bhi nhi
Pedh ke niche jo guzar jaye
Zindagi itni mukhtsar bhi nhi😊
इस भरी कायनात में या रब
अपने रहने को एक घर भी नहीं
पेड़ के नीचे जो गुज़र जाए
ज़िन्दगी इतनी मुख़्तसर भी नहीं😊
खून टपकने लगा आंखो से
आंसुओ को सूखे जमाना हुआ
तुम्हारी तस्वीर ही बची थी पास मेरे
तम्हारा कैसे आना हुआ
क्यू हाल पूंछ मेरे जख्मों को कुरेद रहे हो तुम
मेरे जिस्मों में अब दर्द का ठिकाना हुआ
सलमान….दर्द ही लिखोगे क्या ता_उम्र
उससे पूछो तो इस दर पर क्यू आना हुआ
कलम….तू तो जनता है न मेरे हालात ….
तू बता कैसे हमारा गुजारा हुआ