Kya khabar thi mujhko
Baadal itna beparwah bhi hai
Sakht Tanha kar gaya
Ab ki barsaaton mein
Kya khabar thi mujhko
Baadal itna beparwah bhi hai
Sakht Tanha kar gaya
Ab ki barsaaton mein
आग को बुझा देता है क्रोध ।
आग जलते है हवा में, लेकिन चिंगारी में जलता है क्रोध।
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अपना कविता किसी को मत पढ़ाओ।
अगर कोई पढ़ना चाहते है, उसे सच ढूंढ़ने के लिए बताओ।
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जबाब हर बात पे मत दो।
सिर्फ वक्त का इंतज़ार करो।
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जब बन रहे हों, सुनना पड़ता हैं।
जब बन गये हों, लोग सुनने आते हैं।
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रिश्ते आसमान की रूप।
आज बारिश, कल धूप।
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बात लहर की तरह।
जनम देती रिश्ते, टूटती भी रिश्ते, सोचो ज़रा।
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मैदान में जितना राजनीती होता है, उससे भी ज्यादा होता है घर पर।
घर का बाप ही बनता है नेता, नेता पैदा भी होता हे घर पर।
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जो तुम्हे पाता है, वो किसी को मत बताओ।
समय में प्रयोग करो, नहीं तो लोग समझेंगे के तुम मुर्ख हो।
Akhan which laali,Chehre te noor,Tu das tenu ki kavan,Heer ya Hoor ?
ਅੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਲਾਲੀ ਚਿਹਰੇ ਤੇ ਨੂਰ, ਤੂੰ ਦੱਸ ਤੈਨੂੰ ਕੀ ਕਹਾਂ ਹੀਰ ਜਾਂ ਹੂਰ?