Sade naal vasta soch samajh ke rakhi
Asi oh lok haan Jo nazraa naal nahi lafzaan naal vaar karde haan..!!
ਸਾਡੇ ਨਾਲ ਵਾਸਤਾ ਸੋਚ ਸਮਝ ਕੇ ਰੱਖੀਂ
ਅਸੀਂ ਉਹ ਲੋਕ ਹਾਂ ਜੋ ਨਜ਼ਰਾਂ ਨਾਲ ਨਹੀਂ
ਲਫ਼ਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਵਾਰ ਕਰਦੇ ਹਾਂ..!!
Sade naal vasta soch samajh ke rakhi
Asi oh lok haan Jo nazraa naal nahi lafzaan naal vaar karde haan..!!
ਸਾਡੇ ਨਾਲ ਵਾਸਤਾ ਸੋਚ ਸਮਝ ਕੇ ਰੱਖੀਂ
ਅਸੀਂ ਉਹ ਲੋਕ ਹਾਂ ਜੋ ਨਜ਼ਰਾਂ ਨਾਲ ਨਹੀਂ
ਲਫ਼ਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਵਾਰ ਕਰਦੇ ਹਾਂ..!!
shaan se ham tere dil mein rahenge,
teree mohabbat pe jaan nisaar karenge,
dekh ke jalengee hame duniya saaree,
is kadar be-panaah tujhe pyaar karenge…
शान से हम तेरे दिल में रहेंगे,
तेरी मोहब्बत पे जान निसार करेंगे,
देख के जलेंगी हमे दुनिया सारी,
इस कदर बे-पनाह तुझे प्यार करेंगे…
“सोचता हूँ, के कमी रह गई शायद कुछ या
जितना था वो काफी ना था,
नहीं समझ पाया तो समझा दिया होता
या जितना समझ पाया वो काफी ना था,
शिकायत थी तुम्हारी के तुम जताते नहीं
प्यार है तो कभी जमाने को बताते क्यों नहीं,
अरे मुह्हबत की क्या मैं नुमाईश करता
मेरे आँखों में जितना तुम्हें नजर आया,
क्या वो काफी नहीं था I
सोचता हूँ के क्या कमी रह गई,
क्या जितना था वो काफी नहीं था
“सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I
उनके मुँह से निकले सारे अल्फाजों को याद कर लूँ कभी I
ऐसी क्या मज़बूरी होगी उनकी की हम याद नहीं आते I
सोचता हूँ तोहफा भेज कर अपनी याद दिला दूँ कभी I
सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I