
जहां इश्क का एक बेकसूर मुलाजिम सफ़्फा़क हों गया
कौन जाने किस मर्ज से गुज़रा है वोह
जिसका मेहबूब किसी रकी़ब कि मोहब्बत का मोहताज हो गया
Enjoy Every Movement of life!
“जिसने भी मेरी किस्मत लिखी है अधूरी लिखी है, आजकल उसी को पूरा करने में लगा हुआ हूँ II”
हम आए थे इस रोज
जब तेरा निकाह था
तूने देखा नही शायद
में वही खड़ा था
पूछता तुझसे से मगर तू तो खुश थी
और वो आखरी दिन था जब मैं हसा था