“फिर आज युंहिं मौसम बदला, चहकती
देखो हर एक डाल है..
मद्धम सी बरसात हुई, छिल गई कई पेड़ों की छाल है..
हर पत्ते हर डाली ने पूछा, क्या दर्द हुआ? क्या तेरा हाल है..
कहा हुआ हूं, नया मैं फिर से, क्या जानो तुम कुदरत कमाल है..
मुझको ताकत दी है इतनी, शक्ति मेरी बेमिसाल है..
हर जीव में सांसें भरता हूं, सब करते मेरा इस्तेमाल है..
काटेंगे मुझे तो भुगतेंगे, कुदरत का कहर सबसे विशाल है..
बे-मौसम जो मौसम बदल रहे हैं, जवाब पता है, फिर भी सवाल है..”
Jhooth bol ke rishte judh taa sakde ne
par kadi nibhde nahi hunde
ਝੂਠ ਬੋਲ ਕੇ ਰਿਸ਼ਤੇ ਜੁੜ ਤਾਂ ਸਕਦੇ ਨੇ..
ਪਰ ਕਦੀ ਨਿਭਦੇ ਨਹੀ ਹੁੰਦੇ🥀..