
Evein ta nahi har lafaz ch usda jikar ho reha..!!

चलो किसी पुराने दौर की बात करते हैं,
कुछ अपनी सी और कुछ अपनों कि बात करते हैं…
बात उस वक्त की है जब मेरी मां मुझे दुलारा करती थी,
नज़रों से दुनिया की बचा कर मुझे संवारा करती थी,
गलती पर मेरी अकेले डांट कर पापा से छुपाया करती थी,
और पापा के मुझे डांटने पर पापा से बचाया करती थी…
मुझे कुछ होता तो वो भी कहाँ सोया करती थी,
देखा है मैंने,
वो रात भर बैठकर मेरे बाल संवारा करती थी,
घर से दूर आकर वो वक्त याद आता है,
दिन भर की थकान के बाद अब रात के खाने में, कहां मां के हाथ का स्वाद आता है,
मखमल की चादर भी अब नहीं रास आती है,
माँ की गोद में जब सिर हो उससे अच्छी नींद और कहाँ आती है…
ਇਕ ਕਿਤਾਬ ਖੋਲੀ ਪੁਰਾਣੀ ਕੱਲ
ਵਿੱਚ ਯਾਦਾਂ ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਮਹਿਕਾਂ ਖਿਲਾਰਣ
ਦਿਲ ਦਾ ਹਾਲ ਜੋ ਵਿੱਚ ਲਿਖਿਆ ਸੀ
ਮੇਰੇ ਦਿਲ ਦੇ ਕਰੀਬ ਸੀ
ਮੈਨੂੰ ਯਾਦ ਆ
ਉਹ ਜਾਨ ਸੀ
ਪਰ ਜਾਣ ਕੇ ਵੀ ਅਨਜਾਣ ਸੀ