Bimar Zindagi dwa mang rahi hai
meri rooh tere shehar di hwa mang rahi hai..♥
बीमार ज़िन्दगी दवा मांग रही है
मेरी रूह तेरे शहर की हवा मांग रही है..♥
Enjoy Every Movement of life!
Bimar Zindagi dwa mang rahi hai
meri rooh tere shehar di hwa mang rahi hai..♥
बीमार ज़िन्दगी दवा मांग रही है
मेरी रूह तेरे शहर की हवा मांग रही है..♥
आजकल तुम्हारे बिना मुझे
कुछ भी अच्छा नहीं लगता है
जिधर भी देखु एकलौता मुझे
तुम्हारा ही चेहरा नजर आता है।
तू न दुनिया सी बन गयी हो मेरी ,
बस गुजारिस है तुमसे
की तुम दुनिया की तरह न हो जाना।
ठहरी हुयी सी मेरी
एक शाम हो गए हो तुम
बस गुजारिस है तुमसे
की तुम कहि ढल मत जाना
क्योकि तुमसे आगे मैंने
देखना अब छोड़ दिया है
तुम तक ही है मेरा अब जो भी है
बिन तुम्हारे भी चलना
मैंने अब छोड़ दिया है
तरुण चौधरी