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Mohobbat di agg || true love || Punjabi status

Mohobbat vale khuab nigahan ch paal
Soye tusi vi ho soye asi vi haan..!!
Jannat jehi us alag duniya ch
Khoye tusi vi ho khoye asi vi haan..!!
Gam pyar de gal la kaliyan raatan nu
Roye tusi vi ho roye asi vi haan..!!
Mohobbat di agg vich jal ke barbaad
Hoye tusi vi ho hoye asi vi haan..!!

ਮੋਹੁੱਬਤ ਵਾਲੇ ਖ਼ੁਆਬ ਨਿਗਾਹਾਂ ‘ਚ ਪਾਲ
ਸੋਏ ਤੁਸੀਂ ਵੀ ਹੋ ਸੋਏ ਅਸੀਂ ਵੀ ਹਾਂ..!!
ਜੰਨਤ ਜਿਹੀ ਉਸ ਅਲੱਗ ਦੁਨੀਆਂ ‘ਚ
ਖੋਏ ਤੁਸੀਂ ਵੀ ਹੋ ਖੋਏ ਅਸੀਂ ਵੀ ਹਾਂ..!!
ਗ਼ਮ ਪਿਆਰ ਦੇ ਗਲ ਲਾ ਕਾਲੀਆਂ ਰਾਤਾਂ ਨੂੰ
ਰੋਏ ਤੁਸੀਂ ਵੀ ਹੋ ਰੋਏ ਅਸੀਂ ਵੀ ਹਾਂ..!!
ਮੋਹੁੱਬਤ ਦੀ ਅੱਗ ਵਿੱਚ ਜਲ ਕੇ ਬਰਬਾਦ
ਹੋਏ ਤੁਸੀਂ ਵੀ ਹੋ ਹੋਏ ਅਸੀਂ ਵੀ ਹਾਂ..!!

Title: Mohobbat di agg || true love || Punjabi status

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Hindi kavita || बहती नदी – सी || hindi poetry

थी मै,शांत चित्त बहती नदी – सी
तलहटी में था कुछ जमा हुआ
कुछ बर्फ – सा ,कुछ पत्थर – सा।
शायद कुछ मरा हुआ..
कुछ अधमरा सा।
छोड़ दिया था मैंने
हर आशा व निराशा।
होंठो में मुस्कान लिए
जीवन के जंग में उलझी
कभी सुलगी,कभी सुलझी..
बस बहना सीख लिया था मैंने।
जो लगी थी चोट कभी
जो टूटा था हृदय कभी
उन दरारों को सबसे छुपा लिया था
कर्तव्यों की आड़ में।
फिर एक दिन..
हवा के झोंके के संग
ना जाने कहीं से आया
एक मनभावन चंचल तितली
था वो जरा प्यासा सा
मनमोहक प्यारा सा।
खुशबूओं और पुष्पों
की दुनिया छोड़
सारी असमानताओं और
बंधनों को तोड़
सहमी – बहती नदी को
खुलकर बहना सीखा गया,
अपने प्रेम की गरमी से
बर्फ क्या पत्थर भी पिघला गया।
पाकर विश्वास कोमल भावों से जोड़े नाते का
सारी दबी अपेक्षाएं हो गई फिर जीवंत
लेकिन क्या पता था –
होगा इसका भी एक दिन अंत !
तितली को आयी अपनों की याद
मुड़ चला बगिया की ओर
सह ना सकी ये देख नदी
ये बिछड़न ये एकाकीपन
रोयी , गिड़गिड़ाई ..की मिन्नतें
दर्द दुबारा ये सह न पाऊंगी
सिसक सिसक कर उसे बतलाई।
नहीं सुनना था उसे,
नहीं सुन पाया वो।
नहीं रुकना था उसे,
नहीं रुक पाया वो।
तेज उफान आया नदी में,
क्रोध और अवसाद
छाया मन में,
फिर छला था
नेह जता कर किसी ने।
आवाज देती..लहरें,
उठती और गिरती
किनारों से टकराती,
हो गई घायल।
बीत गए असंख्य क्षण
उसकी वापसी की आस में
लेकिन सामने था, तो सिर्फ शून्य।
हो गई नदी फिर से मौन..
छा गई निरवता।
लेकिन अबकी बार,
नहीं जमा कुछ तलहटी में
कुछ बर्फ सा,
कुछ पत्थर सा।
बस रह गया भीतर
रक्तिम हृदय..
और लाल रक्त।
जो रिस रिस कर
घुलता जा रहा है
मिलता जा रहा है
अपने ही बेरंग पानी में…।।

Title: Hindi kavita || बहती नदी – सी || hindi poetry


Vo jo sakhas tha || hindi shayari on love

किसी को रफ्ता-रफ्ता चाहा था , अब किश्तों में मरते हैं ।
कैसे कहें अपना हाल-ए-दिल , क्या बताएँ कि हम मोहब्बत करते हैं ।।
ईश्क की सौदेबाजी में , नीलाम हो गई चाहते मेरी ।
नफा-नुकसान के फासलों में , उम्मीद की गुंजाइश ढूँढा करते हैं ।।
ख्वाबों के शहर में , चाहत का एक ख्याल आया ।
कई जवाबों के बाद , संगीन एक सवाल आया ।।
रूखसत किया जिसे , जिसकी पसंद से हमने ।
वो जो शख्स था , मेरी कई इबादतों के बाद आया ।।❤️🍂

Title: Vo jo sakhas tha || hindi shayari on love