Zindagi me ek waqt aisa bhi aata hai jab sab kuch thik hone ke baad bhi INSAAN muskurana bhool jata hai
ज़िंदगी में एक वक़्त ऐसा भी आता है जब सब कुछ ठीक होने के बाद भी इंसान मुस्कुराना भूल जाता है
Zindagi me ek waqt aisa bhi aata hai jab sab kuch thik hone ke baad bhi INSAAN muskurana bhool jata hai
ज़िंदगी में एक वक़्त ऐसा भी आता है जब सब कुछ ठीक होने के बाद भी इंसान मुस्कुराना भूल जाता है
ईद के ख़ास मौक़े पर कोई ख़ुदाई से मिले,
दुश्मन – दुश्मन से मिले भाई – भाई से मिले
दुनियां वालों तुम्हें क्यों जलन होती है अग़र,
मुस्लिम सीख़ से मिले या सीख़ ईसाई से मिले
उस बंटवारे को अल्लाह भी क़बूल नहीं कर्ता,
जो हिस्सा इंसानों को ख़ून की लड़ाई से मिले
ग़ले ज़रूर मिलो मग़र ग़ला काटने के लिए नहीं,
क़ल को क्या पता किसका वक़्त जा बुराई से मिले
ये शायर तेरा आशिक़ है एक ही बात कहता है
हमसे जब भी जो भी मिले दिल की गहराई से मिले