Didaar di talab howe taan nazraan tikaa ke rakhi
Kyuki “nakaab” howe ja “naseeb” sarakda jaroor aa
ਦੀਦਾਰ ਦੀ ਤਲਬ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਨਜ਼ਰਾਂ ਟਿਕਾ ਕੇ ਰੱਖੀਂ,
ਕਿਉਂਕਿ “ਨਕਾਬ” ਹੋਵੇ ਜਾਂ “ਨਸੀਬ” ਸਰਕਦਾ ਜਰੂਰ ਆ.. ॥
Didaar di talab howe taan nazraan tikaa ke rakhi
Kyuki “nakaab” howe ja “naseeb” sarakda jaroor aa
ਦੀਦਾਰ ਦੀ ਤਲਬ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਨਜ਼ਰਾਂ ਟਿਕਾ ਕੇ ਰੱਖੀਂ,
ਕਿਉਂਕਿ “ਨਕਾਬ” ਹੋਵੇ ਜਾਂ “ਨਸੀਬ” ਸਰਕਦਾ ਜਰੂਰ ਆ.. ॥
ये साफ सफाई की बात नहीं, कोरोना ने लिखी खत।
इधर उधर थुकना मत।
…………………………………………..
गंगा की गोद में चलती है नाव, मृत शरीर भी।
समय का गोद में खिलती है सभ्यता और जंगली जानवर का अँधा बिस्वास भी।
……………………………………………
बचपन मासूम कली।
फल बनना और बड़ा होना- काला दाग में अशुद्ध कलि।
…………………………………………….
कीचड़ में भी कमल खिलता है।
अच्छे घर में भी बिगड़ा हुआ बच्चा पैदा होते है।
………………………………………………
इंसान का अकाल नहीं, इंसानियत की अकाल है।
डॉक्टर (सेवा) के अकाल नहीं, वैक्सीन (व्यवस्था) का अकाल है।
………………………………………………….
कुत्ते समझते है के कौन इंसान और कौन जानवर है।
बो इंसान को देख के पूंछ हिलाते है और जानवर को देख के भूँकते है।
………………………………………………………
जीविका से प्यारा है जिंदगी।
अगर साँस बंद है तो कैसे समझेंगे रोटी की कमी।
Chen di neend asi kade v na sute
par fir v meri rooh nu hai skoon
ve yaara dil tere naal laun da
ਚੈਨ ਦੀ ਨੀਂਦ ਅਸੀਂ ਕਦੇ ਵੀ ਨਾ ਸੁੱਤੇ
ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਮੇਰੀ ਰੂਹ ਨੂੰ ਹੈ ਸਕੂਨ
ਵੇ ਯਾਰਾ ਦਿਲ ਤੇਰੇ ਨਾਲ ਲਾਉਣ ਦਾ